अंधाहूली की पहचान और इसके फायदे

अंधाहूली की पहचान और इसके फायदे



अंधाहूली की पहचान

अंधाहूली एक जंगली औषधीय पौधा है, जो खासतौर पर बरसात के मौसम में बड़ी संख्या में उगता है। इसे औंधी या औंधाहूली भी कहा जाता है क्योंकि इसके फूल जमीन की ओर झुके हुए होते हैं।

मुख्य पहचान इस प्रकार है:

  • यह पौधा लगभग 1 से 2 फीट तक ऊँचा होता है।

  • इसकी शाखाएं जमीन पर फैली रहती हैं और उनका रंग हल्का हरा या लाल होता है।

  • इसके पत्ते रोएदार, लगभग 4 इंच लंबे और 1 इंच चौड़े होते हैं।

  • फूल हल्के हरे या नीले रंग के होते हैं और नीचे की ओर झुके रहते हैं

  • पकने पर फूल हरा या सफेद हो जाता है और बाद में बीज युक्त फल बनता है।

अंधाहूली के गुण और औषधीय प्रभाव

1. मूढ़गर्भ (Dead or Inactive Pregnancy) में उपयोगी
यह वनस्पति महिलाओं में मूढ़गर्भ जैसी जटिल समस्या में अत्यंत उपयोगी मानी गई है।

  • मूढ़गर्भ वह स्थिति होती है जिसमें गर्भ भ्रूण बनता तो है, लेकिन वह ठीक से विकसित नहीं हो पाता और वर्षों तक नष्ट नहीं होता।

  • आयुर्वेदिक अनुभवजन्य प्रयोग के अनुसार, अंधाहूली के पौधे का स्वरस (रस) यदि सुबह-शाम 40 ग्राम की मात्रा में दिया जाए, तो वह मूढ़गर्भ को बाहर निकालने में मदद करता है

  • यह वह कार्य करता है जो अन्य औषधियों से संभव नहीं होता।

2. नेत्रों के लिए हितकारी
शालिग्राम निघण्टु के अनुसार, अंधाहूली आंखों के लिए भी लाभदायक मानी गई है।

अंधाहूली के अन्य उपयोग

1. जोड़ों की सूजन में

2. बच्चों में पेचिश में उपयोगी

3. बुखार में लाभकारी

4. सांप के विष में उपयोगी

  • गारुड़ी ग्रंथों के अनुसार, इसकी जड़ सांप के जहर को उतारने में सहायक मानी गई है।
    एक श्लोक के अनुसार:
    “ऊंधाफली जड़ को आन, दो पैसा भर जल संग पान।
    सर्प विष कोई ना रहे, सिद्धनाथ योगी यू कहे।”

निष्कर्ष

अंधाहूली एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत प्रभावशाली औषधीय पौधा है। खासतौर पर महिलाओं की मूढ़गर्भ जैसी जटिल अवस्था में इसका उपयोग आश्चर्यजनक परिणाम देता है। इसके अतिरिक्त यह जोड़ों की सूजन, पेचिश, बुखार और सांप के विष में भी लाभकारी है। हालाँकि, इसका उपयोग विशेषज्ञ आयुर्वेदाचार्य या वैद्य की देखरेख में ही करना चाहिए, क्योंकि इसकी खुराक और प्रक्रिया का सही ज्ञान आवश्यक है।



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