Haryana Sonipat Mohi Majri bahu Asha Dhiryana wins 5 lakh KBC Amitabh Bachchan | सोनीपत की बहू ने KBC में जीते 5 लाख: मां के ताने ने बदली जिंदगी, अमिताभ बच्चन ने खुद अपने हाथों से परोसी चाय – Sonipat News

Haryana Sonipat Mohi Majri bahu Asha Dhiryana wins 5 lakh KBC Amitabh Bachchan | सोनीपत की बहू ने KBC में जीते 5 लाख: मां के ताने ने बदली जिंदगी, अमिताभ बच्चन ने खुद अपने हाथों से परोसी चाय – Sonipat News


सोनीपत में आशा अपनी मां माला देवी और पति व बच्चों के साथ।

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मां का यह ताना 2020 में लॉकडाउन के दौरान हरियाणा के सोनीपत की बहू आशा धीरयान को कुछ इस तरह चुभा, कि आज वह न सिर्फ कौन बनेगा करोड़पति के सीजन- 17 में पहुंची, बल्कि सवालों के सही जवाब देकर उन्होंने 5 लाख भी जीत लिए।

मां के ताने के बाद ही उन्होंने ठान लिया था कि वह सिर्फ किताबें नहीं पढ़ेंगी, बल्कि अमिताभ बच्चन के सामने बैठकर सही जवाब देंगी।

दैनिक भास्कर एप से की गई बातचीत में आशा ने कहा-

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पापा का सपना था कि मैं KBC में जाऊं। मां की बात ने मुझे हिला दिया और आज ये मुकाम मेरे परिवार का गर्व है। सबसे बड़ी खुशी ये रही कि मैंने अमिताभ बच्चन के हाथों से चाय पी।

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जीत के बाद अभिताभ बच्चन के साथ आशा धीरयान और उसके पति विनोद।

जीत के बाद अभिताभ बच्चन के साथ आशा धीरयान और उसके पति विनोद।

पहले पढ़िए हरियाणवी बहू के बारे में… आशा धीरयान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा की रहने वाली हैं। साल 2015 में उनकी शादी सोनीपत जिले के गांव मोई माजरी के विनोद धीरयान से हुई।

वह सोनीपत शहर में किराए के मकान पर अपने पति, 8 साल के बेटे जय, 4 साल की बेटी राशि और मां माला देवी के साथ रहती हैं। जबकि विनोद का परिवार गांव में ही रहता है। आशा अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। पिता का साल 2010 में बीमारी के कारण निधन हो गया था।

ग्रेजुएशन करने के बाद आशा ने 2017 में B.Ed किया और 2021 में MSc केमिस्ट्री की पढ़ाई पूरी की। वह लंबे समय तक एक प्राइवेट स्कूल में टीचर रहीं। लेकिन KBC की तैयारी के लिए दो महीने पहले ही नौकरी छोड़ दी।

सोनीपत में किराए का वह मकान जिसमें आशा अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं।

सोनीपत में किराए का वह मकान जिसमें आशा अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं।

मां के ताने से बदल गई जिंदगी साल 2000 में जब आशा 9 साल की थीं, तभी पहली बार KBC शुरू हुआ था। उस समय पिता उन्हें कहते थे, तुम खूब पढ़ो और एक दिन इस शो में जाओ।

आशा बताती हैं,

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पापा जब भी KBC देखते थे, मुझे लेकर सपने बुनते थे। लेकिन 2010 में उनके निधन के बाद वो सपना कहीं पीछे छूट गया।

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साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान जब आशा घर में बैठकर पढ़ाई कर रही थीं, तभी मां माला देवी ने चुभने वाली बात कह दी – “इतनी किताबें पढ़कर क्या फायदा, जब तक तुम KBC में नहीं जाती।”

यही ताना उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया। उसी दिन से आशा ने केबीसी में जाने का ठान लिया और तैयारी शुरू कर दी।

आशा ने केबीसी में दूसरी बार अप्लाई किया था

आशा ने केबीसी में दूसरी बार अप्लाई किया था

अब पढ़िए आशा की KBC के सफर की कहानी….

आशा ने पहली बार 2022 में KBC के लिए आवेदन किया था। उस समय वह ग्राउंड ऑडिशन तक पहुंची थीं, जहां जीके टेस्ट और इंटरव्यू हुआ। लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया।

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मार्च 2025 में दोबारा आवेदन किया। इस बार एप पर 14 दिन तक उन्हें सवाल मिलते रहे, जिनका उन्होंने जवाब दिया। आखिरकार वह शॉर्टलिस्ट हुईं और 1 जून को दिल्ली में ऑडिशन के लिए पहुंचीं।

शूटिंग का सफर और अमिताभ के साथ चाय की चुस्की जीके टेस्ट और इंटरव्यू पास करने के बाद उन्हें 10 सितंबर को मुंबई बुलाया गया। 11 और 12 सितंबर को दो दिन शूटिंग हुई।

खेल के दौरान सुपर संदूक राउंड में जब अमिताभ बच्चन ने आशा से पूछा कि वह क्या चाहती हैं, तो उन्होंने कहा – “सर, मैं आपके हाथों से चाय पीना चाहती हूं।”

अमिताभ बच्चन ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर आप चाहती हैं तो जरूर।” और फिर उन्होंने खुद अपने हाथों से कप में चाय डालकर आशा को दी। आशा कहती हैं, “ये पल मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि है।”

KBC सीजन-17 में सवालों के जवाब देने के दौरान सोनीपत की आशा।

KBC सीजन-17 में सवालों के जवाब देने के दौरान सोनीपत की आशा।

खेल में जीते 5 लाख और ढेरों गिफ्ट आशा करीब 1 घंटे तक हॉट सीट पर रहीं। उन्होंने 10 सवालों के जवाब सही दिए, लेकिन 11वां सवाल गलत हो गया।

अमिताभ बच्चन ने उनसे पूछा – “प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव में मां के नाम मुहिम के तहत कौन सा पौधा लगाया?” विकल्प थे – नेशनल ट्री और नेशनल फ्रूट। आशा ने ‘नेशनल ट्री’ उत्तर दिया, जबकि सही जवाब ‘नेशनल फ्रूट- आम’ था।

इसके बाद आशा को ₹5 लाख कैश, सुपर संदूक में ₹90 हजार, एक बाइक, गोल्ड का सिक्का, 24 महीने तक देसी घी, और पतंजलि के गिफ्ट मिले।

आशा केबीसी के शो के बाद फोटो खिंचवाती हुईं।

आशा केबीसी के शो के बाद फोटो खिंचवाती हुईं।

गरीब बच्चों के लिए नई शुरुआत आशा ने कहा, “परिवार हमेशा चाहता था कि मैं सरकारी नौकरी करूं। मैंने कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाई। अब मेरा सपना है कि गरीब बच्चों को नौकरी की तैयारी करवाऊं और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दूं।”

उन्होंने कहा कि उनके जीतने का राज सिर्फ किताबें पढ़ना और अखबारों पर ध्यान देना था। “रेगुलर पढ़ाई से ही GK मजबूत होती है और यही मुझे यहां तक लाई।”



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