Shardiya Navratri 2025: वर्ष 2025 के शारदीय नवरात्रे चल रहे हैं. हिन्दू पञ्चांग के अनुसार ये नवरात्रे आश्विन माह में आते हैं. इन्हीं दिनों देशभर में रामलीला का मंचन भी होता है और दशमी तिथि के दिन दशहरा मनाया जाता है. इस पर्व के दौरान अधिकांश हिन्दू परिवारों में कोई न कोई सदस्य व्रत अथवा उपवास अवश्य करता है.
डॉ. महेंद्र ठाकुर केमिस्ट्री से डॉक्टरेट, और सामाजिक कीमियागिरी के समीकरणों में उलझने-सुलझाने में रुचि रखते हैं. इनका मानना है कि जहां तक उपवास की बात है तो नश्वर मनुष्य के लिए इसके अनेक लाभ हैं, इसके प्रमाण हिन्दू शास्त्रों में भी मिलते हैं और आज की साइंस भी बताती है. इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बहुत से लोग उपवास का उपहास भी उड़ाते हैं.
श्रीराम ने भी किया था नवरात्रि का व्रत!
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आश्विन मास में आने वाले आदि शक्ति भगवती जगदंबा की उपासना के इस नवरात्रि पर्व के दौरान प्रभु श्री राम ने भी व्रत किया था? यह जानने के लिए देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कंध के अध्याय 28-30 पढ़ने होंगे.
इनमें प्रभु श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया गया है. 28वें अध्याय की शुरुआत में जनमेजय महर्षि वेदव्यास से पूछते हैं कि, ‘श्रीराम ने भगवती जगदम्बा के इस सुख प्रदायक व्रत का अनुष्ठान किस प्रकार किया, वे राज्यच्युत कैसे हुए और फिर सीता हरण किस प्रकार हुआ? इस पर महर्षि वेदव्यास श्री राम चरित का (रामायण) वर्णन करते हैं.’
नारद मुनि ने श्रीराम को बताया रावण नाश का रहस्य
दशानन रावण द्वारा सीता हरण के बाद श्री राम जब व्यथित थे और लक्ष्मण उन्हें सांत्वना दे रहे थे, उसी समय देवर्षि नारद वहां आते हैं (अध्याय 30). श्रीराम उनका आदर सत्कार करते हैं और नारद मुनि उनका कुशल क्षेम पूछते हैं और सीता हरण की बात करके उनके पूर्वजन्म के बारे में बताते हैं.
उसके बाद वे रावण के नाश का उपाय बताते हुए कहते हैं, “अब आप इसी आश्विन मास में श्रद्धापूर्वक नवरात्र व्रत कीजिये”. आगे नारद मुनि कहते हैं कि, सुखी मनुष्य को इस व्रत का अनुष्ठान करना चाहिये और कष्ट में पड़े हुए मनुष्य को तो यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिये.
इसके बाद श्री राम नारद मुनि से देवी, उनके प्रभाव, उनकी उत्पत्ति, उनके नाम और उस व्रत के बारे में पूछते हैं. नारद जी विस्तृत उत्तर देते हैं और नवरात्र व्रत का विधि-विधान बताते हैं.
नारद जी की सलाह पर श्रीराम ने किया नौ दिनों का उपवास
नारद जी कहते हैं, “हे राम! किसी समतल भूमि पर पीठासन बनाकर उस पर भगवती जगदम्बिका की स्थापना करके विधान पूर्वक नौ दिन उपवास कीजिये. इस कार्य में मैं आचार्य बनूँगा; क्योंकि देवताओं के कार्य करने में मैं अधिक उत्साह रखता हूँ .”
इसके बाद श्री राम ने वैसा ही किया और व्रत धारण करके आश्विन मास लगने पर वनवास में पर्वत पर रहते हुए ही भगवती का पूजन किया. उपवास परायण श्रीराम ने व्रत करते हुए विधिवत् होम, बलिदान और पूजन किया. दोनों भाइयों ने नारद जी के द्वारा बताये गये इस व्रत को प्रेमपूर्वक सम्पन्न किया.
मां भगवती ने राम जी को दिए दर्शन
उनकी पूजा से प्रसन्न होकर अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में भगवती दुर्गा ने सिंह पर सवार होकर उन्हें साक्षात् दर्शन दिया और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा.
इसके बाद भगवती ने श्रीराम से वसन्त ऋतु (चैत्र मास) के नवरात्र में दोबारा पूजा अर्थात् व्रत करने के लिए कहा और वरदान दिया कि, उसके बाद आप पापी रावण का वध करके सुखपूर्वक राज्य कीजिये और ग्यारह हजार वर्षां तक भूतल पर राज्य करके पुनः आप देवलोक के लिये प्रस्थान करेंगे.
देवी भगवती का वरदान हुआ सच
ऐसा कहकर भगवती दुर्गा वहीं अन्तर्धान हो गयीं और श्रीराम ने प्रसन्न मन से नवरात्रि व्रत का समापन करके दशमी तिथि को विजया पूजन किया. आगे चलकर देवी भगवती के वरदान अनुसार उन्होंने रावण का वध किया .
जब स्वयं नारायण अवतार श्री राम मनुष्य लोक में नवरात्रि व्रत या उपवास कर सकते हैं तो फिर हम तुच्छ मनुष्यों को क्यों नहीं करना चाहिये? विचार करिये ! नारायणायेती समर्पयामि…
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