दुनिया में किस देश के पास है सबसे ताकतवर फाइटर जेट, जानिए कौन से टेक्नोलॉजी बनाती है इसे घातक

दुनिया में किस देश के पास है सबसे ताकतवर फाइटर जेट, जानिए कौन से टेक्नोलॉजी बनाती है इसे घातक


F-35 और F-22 दोनों की सबसे बड़ी ताकत इनकी स्टेल्थ तकनीक है. यह तकनीक इन्हें रडार पर लगभग अदृश्य बना देती है. दुश्मन का रडार जब इन्हें पकड़ ही नहीं पाएगा तो हमले की संभावना बेहद कम हो जाती है. यही कारण है कि ये जेट दुश्मन के इलाके में घुसकर बिना पकड़े गए ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं.

F-35 और F-22 दोनों की सबसे बड़ी ताकत इनकी स्टेल्थ तकनीक है. यह तकनीक इन्हें रडार पर लगभग अदृश्य बना देती है. दुश्मन का रडार जब इन्हें पकड़ ही नहीं पाएगा तो हमले की संभावना बेहद कम हो जाती है. यही कारण है कि ये जेट दुश्मन के इलाके में घुसकर बिना पकड़े गए ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं.

F-22 रैप्टर की खासियत इसकी सुपरक्रूज़ क्षमता है यानी यह जेट बिना आफ्टरबर्नर का इस्तेमाल किए भी सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ सकता है. यह फीचर ईंधन की बचत करता है और दुश्मन को अचानक चौंकाने का मौका देता है. वहीं F-35 लाइटनिंग II भी लगभग 1.6 मैक (1200 मील प्रति घंटा से ज्यादा) की रफ्तार पकड़ सकता है जिससे यह किसी भी मिशन में बेहद तेजी से काम कर सकता है.

F-22 रैप्टर की खासियत इसकी सुपरक्रूज़ क्षमता है यानी यह जेट बिना आफ्टरबर्नर का इस्तेमाल किए भी सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ सकता है. यह फीचर ईंधन की बचत करता है और दुश्मन को अचानक चौंकाने का मौका देता है. वहीं F-35 लाइटनिंग II भी लगभग 1.6 मैक (1200 मील प्रति घंटा से ज्यादा) की रफ्तार पकड़ सकता है जिससे यह किसी भी मिशन में बेहद तेजी से काम कर सकता है.

इन जेट्स को खास बनाने वाली एक और तकनीक है एवियोनिक्स और सेंसर सिस्टम. F-35 में डिस्ट्रिब्यूटेड अपर्चर सिस्टम (DAS) और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम (EOTS) लगे हैं जो पायलट को 360 डिग्री व्यू और दुश्मन की हर हलचल का सटीक अंदाजा देते हैं. पायलट अपने हेलमेट डिस्प्ले से ही सभी डेटा रियल टाइम में देख सकता है. यह हेलमेट इतना एडवांस है कि पायलट विमान के बाहर भी “दीवार के पार” देखने जैसा अनुभव कर सकता है.

इन जेट्स को खास बनाने वाली एक और तकनीक है एवियोनिक्स और सेंसर सिस्टम. F-35 में डिस्ट्रिब्यूटेड अपर्चर सिस्टम (DAS) और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम (EOTS) लगे हैं जो पायलट को 360 डिग्री व्यू और दुश्मन की हर हलचल का सटीक अंदाजा देते हैं. पायलट अपने हेलमेट डिस्प्ले से ही सभी डेटा रियल टाइम में देख सकता है. यह हेलमेट इतना एडवांस है कि पायलट विमान के बाहर भी “दीवार के पार” देखने जैसा अनुभव कर सकता है.

इन विमानों में लगे हथियार इन्हें और भी जानलेवा बनाते हैं. F-22 और F-35 दोनों एयर-टू-एयर मिसाइल, एयर-टू-ग्राउंड बम और गाइडेड वेपन्स से लैस हैं. खास बात यह है कि ये हथियार विमान के अंदरूनी हिस्से में रखे जाते हैं ताकि रडार पर इनका सिग्नल न मिले. यानी दुश्मन को पता ही नहीं चलेगा और हमला पहले ही हो जाएगा.

इन विमानों में लगे हथियार इन्हें और भी जानलेवा बनाते हैं. F-22 और F-35 दोनों एयर-टू-एयर मिसाइल, एयर-टू-ग्राउंड बम और गाइडेड वेपन्स से लैस हैं. खास बात यह है कि ये हथियार विमान के अंदरूनी हिस्से में रखे जाते हैं ताकि रडार पर इनका सिग्नल न मिले. यानी दुश्मन को पता ही नहीं चलेगा और हमला पहले ही हो जाएगा.

F-35 को

F-35 को “फ्लाइंग कंप्यूटर” भी कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं बल्कि एक कमांड सेंटर की तरह काम करता है. यह दुश्मन की जानकारी सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रखता बल्कि पूरी आर्मी और नेवी के नेटवर्क से साझा करता है. इससे युद्ध के मैदान में बाकी हथियारों और सैनिकों को भी सही समय पर सही जानकारी मिलती है.

आज की तारीख में अगर दुनिया का सबसे ताकतवर फाइटर जेट चुनना हो तो अमेरिका के पास मौजूद F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II सबसे आगे आते हैं. स्टेल्थ फीचर, सुपरसोनिक रफ्तार, घातक हथियार और एडवांस टेक्नोलॉजी ने इन्हें युद्ध के मैदान का सबसे घातक हथियार बना दिया है. यही कारण है कि इन विमानों को

आज की तारीख में अगर दुनिया का सबसे ताकतवर फाइटर जेट चुनना हो तो अमेरिका के पास मौजूद F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II सबसे आगे आते हैं. स्टेल्थ फीचर, सुपरसोनिक रफ्तार, घातक हथियार और एडवांस टेक्नोलॉजी ने इन्हें युद्ध के मैदान का सबसे घातक हथियार बना दिया है. यही कारण है कि इन विमानों को “गेम-चेंजर” कहा जाता है और बाकी देश इन्हें टक्कर देने के लिए लगातार नई तकनीक पर काम कर रहे हैं.

Published at : 28 Sep 2025 11:20 AM (IST)



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