
सोमवार के रोजे की खास बात यह है कि इस दिन अल्लाह के रसुल मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैदाइश हुआ था. इसके अलावा, सोमवार ही वो दिन है जिसे दिन पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर पहली वही नाजिल हुई थी, और आप को नबूवत से सरफराज फरमाया गया था.

हदीस के मुताबिक, मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, सोमवार और जुमेरात (गुरुवार) के दिन मुसलमानों का नामा-ए-आमाल अल्लाह तआला के दरबार में पेश किया जाता है. इसलिए रसूल सल्लल्लाहू अलैहि ने कहा कि मुझे यह पसंद है कि मेरे नामा-ए-आमाल अल्लाह के सामने रोजे के हालत में पेश किए जाएं.

इस्लाम की तारीख में सोमवार के दिन का रोजा बहुत अहम माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन बहुत सारे वाकिया पेश आए, जिससे दुनिया को एक नई रुख मिली. मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अल्लाह तआला ने सोमवार के दिन पेड़ को पैदा किया.

आमतौर पर मुस्लमान अपने खास काम की शुरुआत सोमवार के दिन से ही करते हैं. हालांकि इस दिन किसी नेक काम करने का आगाज समझा जाता है. ताकि उनके काम में बरकत हो. इस दिन रोजा रखने से सेहत तंदुरुस्त और घर में खुशहाली आती है.

हुजूर पाक सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम सोमवार का रोजा रखा करते थे, और इसकी खास वजह ये है कि सोमवार के दिन मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यौम-ए-विलादत है. इसलिए सोमवार और गुरुवार को जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और इस दिन अल्लाह सारे मुसलमानों की गलती माफ कर देते हैं.

दुनिया भर के मुसलमान पीर (सोमवार) और गुरुवार के दिन रोजे का एहतमाम करते हैं क्योंकि ये सुन्नत है. इसी सोमवार के दिन मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम असमान पर चढ़े थे, इसी दिन उन्होंने हिजरत की और इसी दिन उनका इंतेकाल हुआ.
Published at : 13 Oct 2025 05:00 AM (IST)