Dussehra 2025: रावण सिर्फ राम से नहीं हारा! इन 4 योद्धाओं से भी खाई थी हार, चौंकाने वाले किस्से!

Dussehra 2025: रावण सिर्फ राम से नहीं हारा! इन 4 योद्धाओं से भी खाई थी हार, चौंकाने वाले किस्से!



Dussehra 2025: सभी लोग ये मानते हैं कि, रावण श्रीराम के अलावा कभी किसी से नहीं हारा, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि, रावण श्रीराम के अलावा भी अन्य 4 शक्तिशाली योद्धाओं से भी हारा था. 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि, वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब राक्षसराज रावण ने सभी राजाओं को जीत लिया, तब वह महिष्मती नगर के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया.

रावण और सहस्त्रबाहु के बीच युद्ध

रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा. नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ. अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया.

जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास आए और रावण को छोडऩे के लिए निवेदन किया. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली.

शिवजी से रावण की हार

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि, रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया था. रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे.

रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा. तब शिवजी ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया. इस हार के बाद रावण ने शिवजी को अपना गुरु बनाया था.

राजा बलि के महल में रावण की हार

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वी व स्वर्ग को जीतने के बाद रावण पाताल लोक को जीतना चाहता था. उस समय दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे. एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था.

वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था. इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई.

जब बालि से हारा रावण

रावण परम शक्तिशाली था, वे अन्य योद्धाओं को हरा कर स्वयं को सर्वशक्तिमान साबित करना चाहता था. जब रावण को पता चला कि वानरों का राजा बालि भी परम शक्तिशाली है तो वह उससे लड़ने किष्किंधा पहुंच गया.

बालि उस समय पूजा कर रहा था. रावण ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा तो बालि ने गुस्से में उसे अपनी बाजू में दबा लिया और समुद्रों की परिक्रमा करने लगा. रावण ने बालि के बाजू से निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया.

पूजा के बाद जब बालि ने रावण को छोड़ा तो वह निढाल हो चुका था. इसके बाद रावण ने बालि को अपना मित्र बना लिया.

दशहरे का महत्व

दशहरा संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है. दश यानी बुराई और हरा यानी खत्म करना. इस तरह दशहरे का अर्थ हुआ बुराई का नाश करके अच्छाई की पुर्नस्थापना करना. विजयदशमी वर्ष के श्रेष्ठ मुहूर्त बसंत पंचमी और अक्षय तृतीया की तरह ही शुभ माना गया है.

विजयदशमी के दिन कोई भी अनुबंध हस्ताक्षर करना हो, गृह प्रवेश करना हो, नया व्यापार उतरना हो या किसी भी तरह का लेनदेन का कार्य करना हो तो उसके लिए श्रेष्ठ फलदाई माना गया है. दशहरे का पर्व साल के सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक माना जाता है.

यह तीन मुहूर्त में से एक है, साल का सबसे शुभ मुहूर्त, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया. यह अवधि किसी भी चीज की शुरुआत करने के लिए उत्तम है. 

बौद्ध धर्म में भी है दशहरा का महत्व

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा बौद्ध धर्म के लिए भी बहुत महत्व रखता है. कहा जाता है इसी दिन से मौर्य शासन की शुरुआत हुई थी और अशोक ने अंहिसा को त्याग बौद्ध धर्म अपना लिया था. आज सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा मनाया जा रहा है.

विजयदशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज के दिन अस्त्र-शस्त्र का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

इस दिन माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है.

मान्यता है कि यदि दशहरे के दिन किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो इससे घर में खुशहाली आती है और वहीं, जो काम करने जा रहे हैं, उसमें सफलता मिलती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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