Shardiya Navratri 2025 Day 8 Mahagauri Puja: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे महा अष्टमी भी कहते हैं. इस दिन कन्या पूजन होती है. कई लोग कन्या पूजन के बाद अष्टमी के दिन ही व्रत भी खोलते हैं. शारदीय नवरात्रि या दुर्गा पूजा की अष्टमी तिथि मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को होगी.
अष्टमी तिथि मां दुर्गा के आठवें रूप की अधिकाष्ठा देवी महागौरी को समर्पित है. मां महागौरी को सुंदरता, शुद्धता, शांति और दया की देवी कहा जाता है. इनकी पूजा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि में वृद्धि होती है.
पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत, 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट से शुरू हो जाएगी और 30 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. 04:31 पर समाप्त हो जाएगी. उदायतिथि के अनुसार मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को अष्टमी पूजा और कन्या पूजा का दिन रहेगा. आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी- पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, रंग, भोग और आरती.
मां महागौरी पूजा शुभ मुहूर्त (Maa Mahagauri Puja Muhurat)
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:37 से 05:25 तक
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:35 तक
- कन्या पूजा का मुहूर्त- सुबह 10:40 से 12:10 तक
मां महागौरी पूजा विधि (Maa Mahagauri Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहन लें. पूजा स्थल की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें. अब मां महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और गंगाजल से अभिषेक करें. मां को लाल चंदन, कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, लाल चुनरी आदि अर्पित करें. साथ ही फल, खीर का भोग और मिष्ठान भी चढ़ाएं. इसके बाद धूप-दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें. मंत्र जाप करें और फिर आरती करें. दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग हवन भी कराते हैं.
मां महागौरी का प्रिय भोग (Navratri Day 8 Bhog)- मां महागौरी को दुर्गा अष्टमी के दिन नारियल का भोग जरूर लगाएं. इसके साथ ही आप हलवा, पुड़ी, काला चना और खीर का भोग भी लगा सकते हैं.
मां महागौरी का प्रिय रंग (Navratri Day 8 Color)- मां महागौरी को गुलाबी रंग अतिप्रिय है. इसलिए मां को पूजा में गुलाबी रंग की चीजें अर्पित करें. आप स्वयं भी पूजा में गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें.
मां महागौरी पूजा मंत्र (Maa Mahagauri Puja Mantra)
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः.
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा.
देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
जप मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:.
मां महागौरी स्वरूप
मां महागौरी का वर्ण गौर है. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. मां का वाहन वृषभ है. इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. वहीं श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करने के कारण मां को श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है. मां महागौरी की चार भुजाएं हैं. ऊपर वाला दाहिनी हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीले वाला हाथ वर मुद्रा में है. मां की मुद्रा शांत और आकर्षक है. कहा जाता है कि, मां महागौरी ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किए थे, जिससे इका शरीर काला हो गया था. महागौरी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने महागौरी के शरीर को गंगाजल से धोकर कांतिमय बना दिया, जिसके बाद इनका वर्ण गौर हो गया और ये महागौरी कहलाईं.
मां महागौरी आरती (Maa Mahagauri Aarti Lyrics)
जय महागौरी जगत की माया.
जया उमा भवानी जय महामाया..
हरिद्वार कनखल के पासा.
महागौरी तेरा वहां निवासा..
चंद्रकली और ममता अंबे.
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे..
भीमा देवी विमला माता.
कौशिकी देवी जग विख्याता..
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा.
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा..
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया.
उसी धुएं ने रूप काली बनाया..
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया.
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया..
तभी मां ने महागौरी नाम पाया.
शरण आनेवाले का संकट मिटाया..
शनिवार को तेरी पूजा जो करता.
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता..
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो.
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो..
ये भी पढ़ें: Navratri Paran Kab Hai 2025: 1 या 2 अक्टूबर किस दिन करें नवरात्रि व्रत का पारण, जानें सही तारीख और मुहूर्त
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.