Griha Pravesh: नए घर के निर्माण बाद गृह प्रवेश किया जाता है. गृह प्रवेश की पूजा व्यक्ति और उसके परिवार के लिए किसी सपने का पूरा होने जैसा होता है. घर की पवित्रता और शुद्धि के लिए गृह प्रवेश की पूजा की जाती है. गृह प्रवेश का मांगलिक आयोजन व्यक्ति और उसके परिवार के लिए खास महत्व रखता है. इस दौरान पुरोहित के द्वारा पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं और कुछ परंपराएं भी निभाई जाती हैं.
गृह प्रवेश की कई परंपराओं मे एक है ‘दूध उबालना’. यह अहम रस्मों में एक मानी जाती है. इस रस्म में नए रसोईघर में दूध को उबाला जाता है. यह भी जरूरी होता है कि उबलता हुआ दूध चूल्हे पर जरूर गिरे. आमतौर पर बार-बार दूध का उबलकर नीचे गिरना अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन गृह प्रवेश के दौरान इस रस्म को निभाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. आइये जानते हैं इस रस्म से जुड़ी मान्यता.
गृह प्रवेश में दूध उबालने की परंपरा
हिंदू धर्म में दूध को समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. जब कोई नए घऱ पर प्रवेश करता है तो नए चूल्हे पर दूध उबाला जाता है और इस बात का ध्यान रखा जाता है कि, दूध उबलने के बाद उफनकर थोड़ा नीचे गिर जाए उसके बाद ही चूल्हे को बंद किया जाता है.
मान्यता है कि, दूध उफनकर जब चूहे पर गिरता है तो इससे घर की सुख-समृद्धि भी बढ़ती है. इसके पीछे मान्यता है कि, जिस तरह दूध उफनकर बर्तन से बाहर आ जाता है, उसी तरह से घर पर सुख-समृद्धि भी छलकती हुई बाहर तक आ जाती है.
एक मान्यता है यह भी है, जब कोई नया घर बनाता है यह डर रहता है कि, घर नकारात्मक ऊर्जा या वास्तु दोषों से प्रभावित न हो. दूध में पवित्रता और शुद्धिकारक का गुण होता है. इसलिए दूध से निकलने वाली भाप नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करके वातावरण को शुद्ध कर देती है.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, ज्योतिष में दूध को चंद्रमा और चूल्हे (अग्नि) को मंगल का कारक माना जाता है. गृह प्रवेश में चूल्हे पर दूध गिरना मंगल और चंद्रमा का मिलन शुभ होता है.
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