Movie Review – Kaantara Chapter 1: | फिल्म रिव्यू – कांतारा चैप्टर 1: ऋषभ शेट्टी की दमदार एक्टिंग और आदिवासी संस्कृति की झलक, लेकिन कहानी में थोड़ी ढीली और ग्राफिक्स कमजोर

Movie Review – Kaantara Chapter 1: | फिल्म रिव्यू – कांतारा चैप्टर 1: ऋषभ शेट्टी की दमदार एक्टिंग और आदिवासी संस्कृति की झलक, लेकिन कहानी में थोड़ी ढीली और ग्राफिक्स कमजोर


3 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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कांतारा चैप्टर 1, ऋषभ शेट्टी की फिल्म, अब सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। यह फिल्म 7 भाषाओं में उपलब्ध है और दर्शकों को एक रहस्यमय और सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाती है। क्या यह फिल्म अपने पहले भाग की तरह ही दर्शकों को प्रभावित कर पाएगी? आइए जानते हैं।

कहानी फिल्म की कहानी कर्नाटक के काल्पनिक गांव कांतारा और उसके आसपास के जंगलों पर घूमती है। गांववासी मानते हैं कि उनकी रक्षा ईश्वर के गण करते हैं, लेकिन गांव और जंगल की भूमि पर कब्ज़ा करने की लालसा रखने वाला राजा और उसका पुत्र कुलसेखर इस शांति को चुनौती देते हैं।

कुलसेखर की कांतारा के लोगों पर अत्याचार करता है। इस बीच, आदिवासी नेता बर्मे अपने साहस और रणनीति से कुलसेखर की योजना को नाकाम करता है, गुलिका अनुष्ठान और चालाकी से उसकी हत्या करता है।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती—शुरू होता है छल और रणनीति का खेल। क्या बर्मे और आदिवासी समुदाय इस चालाकी और युद्धनीति से कांतारा की रक्षा कर पाएंगे?

साथ ही, कनकवती (रुक्मिणी वसंत) की सरप्राइज एंट्री और जंगल के देवता पनजुरली की शक्ति कहानी में रोमांच और गहराई जोड़ते हैं। क्लाइमेक्स और अनुष्ठान के दृश्य दर्शकों को अंत तक बांधते हैं।

अभिनय ऋषभ शेट्टी बर्मे के रूप में पूरी तरह सहज और प्रभावी हैं। ऋषभ ने फिल्म में अपना सबकुछ झोंक दिया है जो उनकी अदाकारी में साफ झलकती है, ये उनका सालों तक याद करने वाला परफॉर्मेंस है रुक्मिणी वसंत की दमदार परफॉर्मेंस और ग्रे शेड कहानी में नया आयाम जोड़ती है। जयराम और गुलशन देवैया ने भी अपने-अपने किरदारों में वजन और मजबूती दिखाई।

निर्देशन और तकनीकी पहलू ऋषभ शेट्टी ने कहानी का टोन रॉ और रियल रखा है। अरविंद एस. कश्यप की सिनेमैटोग्राफी जंगल और गांव की लोकेशन को शानदार ढंग से कैद करती है। प्रोडक्शन डिजाइन भी बहुत प्रभावशाली है, जिसमें आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को सटीक रूप से दर्शाया गया है। एक्शन सीन्स थ्रिल में रखते हैं, जबकि सही जगह पर डाली गई कॉमेडी सीन फिल्म को हल्का और मनोरंजक बनाते हैं।

संगीत और मनोरंजन फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और संगीत (अजनीश लोकनाथ) शानदार हैं। गाने फिल्म की कहानी और माहौल को और असरदार बनाते हैं।

फाइनल वर्डिक्ट कांतारा चैप्टर 1 सिर्फ़ फिल्म नहीं, बल्कि अनुभव है। यह लोककथाओं, विश्वास और जंगल के रहस्य को शानदार विज़ुअल्स और दमदार अभिनय के साथ पेश करती है। कुछ ग्राफिक्स दूसरे हाफ़ में कमजोर हैं, लेकिन समग्र रूप से फिल्म देखने योग्य और रोमांचक है।



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