
इस लिस्ट में पहला नाम मध्य प्रदेश के मंदसौर का आता है. इस जिले में सदियों से दशहरा न मनाने की परंपरा चली आ रही है. यहां के लोग रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका होने का दावा करते हैं.

मंदसौर के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. यही कारण है कि यहां के लोग रावण का पुतला जलाना अपना अपमान मानते हैं. मंदसौर के लोग इस दिन रावण का पुतला जलाने की जगह शोक मनाते हैं.

इस लिस्ट में दूसरा नाम उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर का आता है. यहां के बिसरख गांव के लोग अपने आप को रावण का वंशज बताते हैं. लोककथाओं के अनुसार, यह गांव रावण का जन्मस्थान था.

इस लिस्ट में शामिल तीसरी जगह का नाम अमरावती का है. महाराष्ट्र के गढ़चौरी क्षेत्र के आदिवासी लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं. इसलिए यहां के लोग न तो दशहरा मनाते हैं और न ही रावण का पुतला दहन करते हैं.

इस लिस्ट में चौथा नाम हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ का आता है. यहां की स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहीं रावण ने भगवान शंकर की भक्ति की थी. यहां के लोग रावण के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं.

पांचवां और आखिरी नाम जो इस लिस्ट में शामिल है, वह आंध्र प्रदेश के काकिनाडा जिले का है. यहां के लोग रावण को विद्वान और पंडित मानते हैं. यही कारण है कि यहां के लोग न तो इस दिन किसी उत्सव में भाग लेते हैं और न ही रावण के पुतले का दहन करते हैं.

इनके अलावा भी भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां के लोग रावण के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं और उसका पुतला नहीं जलाते हैं. लेकिन यहां आप कुछ भी कर लीजिए, इन 5 जगहों पर पुतला नहीं जलता.
Published at : 02 Oct 2025 06:00 PM (IST)