ताड़ फल में हैं अनेक बेहरतरीन गुण

ताड़ फल में हैं अनेक बेहरतरीन गुण



ताड़ (palm tree in hindi) के गुणों के आधार पर आयुर्वेद में किन-किन बीमारियों के लिए इसको औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है ये जानने के लिए आगे चलते हैं-


मूत्र त्याग की परेशानी से दिलाये राहत ताड़ का काढ़ा
मूत्र का रंग बदलने या मूत्रकृच्छ्र (मूत्र त्याग में कठिनता) हो जाए तो विदारीकंद, कदम्ब तथा ताड़ फल के काढ़ा एवं कल्क से सिद्ध दूध एवं घी का सेवन प्रशस्त है।

ताड़ के सेवन से हिचकी से मिले राहत
अगर बार-बार हिचकी आने से परेशान हैं तो ताड़ का इस तरह से सेवन करने पर जल्द ही मिलेगी राहत। 5-10 मिली ताड़ पत्रवृन्त का रस में 5-10 मिली ताड़ के जड़ का रस मिलाकर सेवन करने से हिचकी बन्द हो जाती है।

प्लीहावृद्धि करे कम ताड़
अगर किसी बीमारी के कारण प्लीहा या स्प्लीन का आकार बढ़ गया है तो ताड़का सेवन फायदेमंद साबित होता है। 65 मिग्रा ताड़ फूल के क्षार में गुड़ मिलाकर सेवन करने से प्लीहा का आकार कम होने में सहायता मिलती है।

हैजा से दिलाये निजात ताड़ का पेड़
अगर किसी कारणवश हैजा हो गया है तो ताड़ का सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है। ताड़ के मूल को चावल के पानी से पीसकर नाभि पर लेप करने से विसूचिका (कॉलरा) तथा अतिसार का शमन होता है।

पेट का कीड़ा निकालने में फायदेमंद ताड़ का पेड़
बच्चों को पेट में कीड़ा होने की बहुत समस्या होती है। इसके कारण बहुत तरह के बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। पेट से कीड़ा निकालने में ताड़ का इस तरह से सेवन करने पर लाभ मिलता है। समान मात्रा में ताल जड़ के चूर्ण को कांजी में पीसकर थोड़ा गुनगुना करके नाभि पर लेप करने से पेट की कृमियों से राहत मिलती है।

लीवर के बीमारी में फायदेमंद ताड़ का वृक्ष
लीवर की बीमारी होने पर लीवर को स्वस्थ करने पर ताल बहुत काम आता है। इसका सेवन इस तरह से करने पर फायदा मिलता है- -10-15 मिली ताल फल-स्वरस को पिलाने से यकृत्-विकारों (लीवर की बीमारियों) में लाभ होता है।

मूत्र संबंधी समस्या से दिलाये राहत ताड़ का फल
फलों के ताजा रस में मिश्री मिलाकर पिलाने से मूत्रकृच्छ्र या मूत्र करने में कठिनाई या मूत्र करने में जलन आदि समस्या में लाभ होता है। इसके अलावा ताड़ के कोमल जड़ से बने पेस्ट (1-2ग्राम) को ठंडा करके शालि चावल के धोवन के साथ पीने से मूत्राघात (मूत्र का रुक जाना) में लाभ होता है।

मूत्रातिसार में फायदेमंद ताड़
अत्यधिक मात्रा में मूत्र होने पर ताल का इस तरह से सेवन करने पर लाभ मिलता है। ताल जड़ के चूर्ण में समान मात्रा में खजूर, मुलेठी, विदारीकन्द तथा मिश्री का चूर्ण मिलाकर 2-4 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से मूत्रातिसार (अत्यधिक मात्रा में मूत्र होना) में लाभ होता है।

सुखप्रसवार्थ में लाभप्रद ताड़ का पेड़
ताल के जड़ (taad)का इस तरह से प्रयोग करने पर डिलीवरी के दौरान के प्रक्रिया में आसानी होती है। ताल जड़ को सूत्र में बाँधकर, आसन्न प्रसवा स्त्री ( जिस महिला की डिलीवरी होने वाला है) की कमर में बाँध देने से सूखपूर्वक प्रसव हो जाता है।

प्रमेह पीड़िका (डायबिटीज) में फायदेमंद ताड़
आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने का। फल ये होता है कि लोग को मधुमेह या डायबिटीज की शिकार होते जा रहे हैं। ताजी ताड़ी को चावल के आटे में मिलाकर, मंद आंच पर पकाकर पोटली जैसा बनाकर बांधने से प्रमेह पीड़िका तथा छोटे-मोटे घाव में लाभ मिलता है।

पेट के रोगों को ठीक करता है ताड़
पेट की समस्या में ताड़ के फल (पाम फ्रूट) का उपयोग फायदेमंद होता है। इस फल में लैक्सेटिव का गुण होता है जिससे यह पाचन शक्ति को अच्छा रखता है और कब्ज दूर करने में मदद करता है ।

पेट में पानी भर जाने की समस्या से आराम दिलाता है ताड़
ताड़ में मूत्रल यानि डायूरेटिक का गुण होता है, जिसके कारण यह शरीर में मौजूद पानी या तरल की अधिक मात्रा को मूत्र के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है।

आहारनली की जलन दूर करने में ताड़ के पेड़ के फायदे
अन्ननली में जलन होने का एक कारण आमाशय में अधिक मात्रा में एसिड होना हो सकता है। ऐसी स्थिति में ताड़ के फल का उपयोग करना फायदेमंद रहता है, क्योंकि इसमें शीत का गुण होता है जो जलन को कम करने में मदद करता है।

लीवर के बढ़ने की समस्या को ठीक करता है ताड़
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, ताड़ के फल लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करते हैं. इसलिए लीवर के बढ़ने की समस्या होने पर इसका उपयोग फायदेमंद होता है. कई जगहों पर इस फल को लीवर टॉनिक नाम से जाना जाता है।

उन्माद में लाभकारी ताड़
मस्तिष्क के कार्य को बेहतर तरीके से करने में ताड़ मदद करता है। ताड़ की शाखाओं के 5-10 मिली रस में मधु मिला कर सेवन करने से उन्माद या पागलपन में लाभ होता है।

ताड़ के उपयोगी भाग
आयुर्वेद में ताड़ वृक्ष के पत्ता, जड़, फल तथा फूल का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।



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