Ekadarshi Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने दो बार आने वाली इस तिथि का न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उपवास रखने से स्वास्थ्य बेहतर होता है. साथ ही भगवान विष्णु जब प्रसन्न होते हैं तो आपको मनवांछित फल भी मिलता है और सभी पापों का नाश भी होता है.
प्रत्येक साल 24 एकादशी होती है. यह हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आती है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. विधि विधान से भगवान विष्णु की उपासना करने से वे प्रसन्न होते हैं. जिस साल अधिकमास (मलमास या पुरुषोत्तम मास) लगता है. उस साल 26 एकादशी व्रत हो जाते हैं. इसमें निर्जला एकादशी सबसे कठिन मानी जाती है. निर्जला व्रत करने वाले भक्तों को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है.
हिंदू शास्त्रों में पांच एकादशियों का विशेष महत्व बताया गया है-
1: निर्जला एकादशी: यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. इसमें जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है. मान्यता है कि कोई अगर पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाता है और सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर ले तो सभी एकादशियों का फल मिल जाता है.
2: देवउठनी एकादशी: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थानी या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयन के बाद जागते हैं. इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. हिंदू परंपरा में इस दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
3: उत्पन्ना एकादशी: मार्गशीर्ष माह की पहली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को भक्तिपूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
4: षटतिला एकादशी: माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाने का विधान है .
5: आमलकी एकादशी: यह फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ आंवले के वृक्ष पर वास करते हैं. इस कारण इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा की जाती है.
क्या करें
हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी व्रत में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कई विधि विधान बताए गए हैं. सुबह में जल्दी स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर विधिवत विष्णुजी की पूजा और अभिषेक करें. साथ ही लक्ष्मी जी का भी पूजन इस दिन शुभ माना गया है. उन्हें तुलसी जल अर्पित करें. फूल और चंदन चढ़ाएं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ ही दान-पुण्य करें और तुलसी की मंजरी तिजोरी में रखने से समृद्धि बढ़ती है.
क्या नहीं करें
एकादशी से एक दिन पहले दशमी की रात में भोजन करना वर्जित है. दशमी को तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन काले रंग के कपड़े भी नहीं पहनना चाहिए. चावल का भी सेवन नहीं करें. मान्यता है कि इन सभी विधियों से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
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