Sharad Purnima 2025: आश्विन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की चमकीली और रोशनीदार रात को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा आज 6 अक्टूबर 2025 को है. इसका धार्मिक महत्व यह है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर आकाश से अमृत वर्षा करता है.
धार्मिक मान्यतानुसार शरद पूर्णिमा पर ही मां लक्ष्मी का अवतरण भी हुआ था. इस रात्रि लोग खीर बनाकर चंद्रमा के प्रकाश के नीचे रखते हैं और फिर इसका सेवन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि, चंद्रमा का प्रकाश पड़ने के कारण खीर में अमृत तत्व आ जाते हैं और इस खीर को खाने वाले को स्वास्थ्य लाभ मिलता है. इसी शरद पूर्णिमा की अमृतमयी रात का लाभ लंकापति रावण ने भी उठाया था.
रावण ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की थी और उन्हें प्रसन्न कर अमरता का वरदान प्राप्त किया था. रामायण में ऐसा वर्णन मिलता है कि, रावण की नाभि में अमृत कुंड था. यही कारण है कि भगवान राम के बारंबार प्रयास और प्रहार के बाद भी रावण मर नहीं रहा था. अगर विभीषण रावण के नाभि में अमृत कुंड होने के रहस्य का उजागर राम के समक्ष नहीं करते तो शायद रावण वध संभव न होता.
रावण की नाभि में था अमृत कुंड
उमा काल मर जाकीं ईछा। सो प्रभु जन कर प्रीति परीछा॥
सुनु सरबग्य चराचर नायक। प्रनतपाल सुर मुनि सुखदायक॥
नाभिकुंड पियूष बस याकें। नाथ जिअत रावनु बल ताकें।।
सुनत बिभीषन बचन कृपाला। हरषि गहे कर बान कराला॥
इस श्लोक के अनुसार- विभीषण महदेव का नाम लेकर बताते हैं कि, रावण की नाभिकुंड में अमृत का निवास है. हे नाथ! ये राक्षसराज उसी के बल पर जीता है. विभीषण की बात सुनकर राम ने हर्षित होकर हाथ में विकराल बाण लिए और रावण की नाभि पर प्रहार कर दिया.
शरद पूर्णिमा पर क्या करता था रावण
कहा जाता है कि, लंकापति रावण शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों को दर्पण ने माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण करता था. इससे उसे पुनर्योवन शक्ति मिलती थी और लंकापति की ताकत और अधिक बढ़ जाती थी.
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