बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का आगाज 6 नवंबर से होगा. चुनाव आयोग ने सोमवार (6 अक्टूबर) की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी जानकारी दी. चुनाव दो चरणों में संपन्न होगा और इसके लिए सभी पार्टियां पहले ही तैयारी शुरू कर चुकी हैं. बिहार चुनाव में जातीय समीकरण काफी मायने रखेंगे. जातीय समीकरण ही किसी भी पार्टी के लिए कुर्सी का रास्ता तैयार करेंगे.
बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर समेत सभी नेता मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 15.38 प्रतिशत मतदाता जनरल कैटेगरी के हैं. यह वोटबैंक आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी का माना जाता है और बीजेपी इस बार नीतीश कुमार के साथ ही चुनाव लड़ रही है. वे दोनों एनडीए का हिस्सा हैं. लिहाजा उन्हें इसका फायदा मिल सकता है.
बिहार में सबसे ज्यादा मतदाता 36.1 प्रतिशत अति-पिछड़ा वर्ग के हैं. वहीं 27.13 प्रतिशत वोट पिछड़ा वर्ग (OBC) के हैं. अगर 19.65 प्रतिशत दलित मतदाता हैं. जबकि 1.68 प्रतिशत वोट आदिवासी समाज के हैं.
बिहार में किस जाति की कितनी है आबादी
जनरल कैटेगरी में ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और बनिया के साथ-साथ कुछ और जातियां भी शामिल हैं. यह वोटबैंक भाजपा का है. जनता दल यूनाइटेड को भी इसका फायदा मिल सकता है. बिहार में 3.65 प्रतिशत ब्राह्मण, 2.87 प्रतिशत भूमिहार और 3.45 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं.
तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल यादव-मुस्लिम समीकरण को साधने का प्रयास करेगी. बिहार में 14 प्रतिशत यादव और 17 प्रतिशत मुस्लिम वोटबैंक है. अगर आंकड़ों के हिसाब से देखें तो यह काफी बड़ी आबादी है. आरजेडी को इनके साथ-साथ कुछ और जातियों का भी साथ मिल सकता है, जो कि क्षेत्रीय उम्मीदवार पर निर्भर करेगा.
14 नवंबर को होगी मतगणना
बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना होगी. चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव को लेकर कई छोटे और बड़े बदलाव किए हैं. इसके तहत पहली बार, सभी मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल फोन जमा कराने के लिए काउंटर उपलब्ध होंगे. भीड़भाड़ से बचने के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या भी 1,200 तक सीमित कर दी गई है.