भारतीय शॉटगन शूटर भवनीश मेंदीरत्ता।
ग्रीस में आज (बुधवार) से शुरू हो रही शॉट गन वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की ओर से 12 सदस्यीय दल भाग ले रहा है। इस दल में हरियाणा के दो युवा शूटर फरीदाबाद के भवनीश मेंदीरत्ता और रोहतक की आशिमा अहलावत भी शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश के लिए पदक
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8 अक्टूबर से आयोजित होने वाली वर्ल्ड शॉट गन चैंपियनशिप में भारत की टीम में हरियाणा के दो शॉट गन शूटर देश के लिए निशाना लगाएंगे। दोनों खिलाड़ियों से हरियाणा के साथ साथ देश को भी मेडल जीतने की उम्मीदें हैं। चैंपियनशिप 19 अक्टूबर तक आयोजित की जाएगी।

आशिमा अहलावत का एशियन चैंपियनशिप में जीत के बाद का फोटो।
पेरिस ओलिंपिक 2024 का पहला कोटा
फरीदाबाद के 23 वर्षीय भवनीश मेंदीरत्ता ने हाल के वर्षों में भारतीय शूटिंग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। ट्रैप इवेंट के विशेषज्ञ भवनीश ने 2022 में क्रोएशिया में आयोजित आईएसएसएफ विश्व शॉटगन चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर भारत को पेरिस ओलिंपिक 2024 का पहला कोटा दिलाया था।
भवनीश का जन्म 30 जून 1999 को हुआ और उन्होंने 2014 में शूटिंग की शुरुआत की। शुरुआती दिनों में वे डबल ट्रैप इवेंट में अभ्यास करते थे, लेकिन बाद में ट्रैप शूटिंग पर पूरी तरह केंद्रित हो गए। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई के साथ उन्होंने खेल पर ध्यान दिया।

आशिमा अहलावत प्रतिभा और दृढ़ता की मिसाल
रोहतक जिले के खरकड़ा गांव की आशिमा अहलावत ने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर भारत की युवा महिला शॉटगन टीम में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनका जन्म 27 सितंबर 2003 को हुआ और उनके शूटिंग करियर की शुरुआत भी प्रेरणादायक रही।
आशिमा की मां ने शर्त रखी थी कि वह शूटिंग तभी शुरू कर सकती हैं, जब 10वीं कक्षा में 98% अंक हासिल किए और आशिमा ने 98.6% अंक लाकर यह शर्त पूरी की। इसके बाद उन्होंने शूटिंग को अपना लक्ष्य बना लिया। हाल ही में आयोजित 16वीं एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने महिलाओं की ट्रैप इवेंट में ब्रॉन्ज पदक जीता।
क्वालीफिकेशन और फाइनल राउंड में उनका संयम और तकनीक प्रशंसनीय रही, जिसने उन्हें पदक मंच तक पहुंचाया।
हरियाणा के कंधों पर भारत की उम्मीदें
हरियाणा की इस युवा जोड़ी भवनीश मेंदीरत्ता और आशिमा अहलावत ने राष्ट्रीय स्तर पर कई बार भारत का मान बढ़ाया है। अब ग्रीस में होने वाली शॉटगन वर्ल्ड चैंपियनशिप 2025 में वे देश के लिए नए इतिहास की उम्मीद लेकर मैदान में उतरेंगे। भवनीश और आशिमा का यह सफर इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, अनुशासन और निरंतरता से कोई भी खिलाड़ी विश्व स्तर तक पहुंच सकता है।