Sunlight Exposure and Health: इंसान के जीवन में जो चीजें सबसे ज्यादा जरूरी हैं, उनमें से एक है धूप. अगर आपको सही से धूप न मिले तो कई तरह की बीमारी हो सकती है. गर्मियों में चटक धूप और सर्दियों में हल्की धूप लोगों की दिनचर्या का हिस्सा रही है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. शहरों में फैले प्रदूषण ने न सिर्फ हवा को खराब किया है बल्कि धूप की चमक भी फीकी कर दी है. इसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है. खासकर उस विटामिन पर, जिसे हम “सनशाइन विटामिन” यानी विटामिन-डी के नाम से जानते हैं. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
प्रदूषण धूप को क्यों रोक रहा है?
हवा में मौजूद धूल, धुआं और जहरीले कण सूरज की किरणों को धरती तक सही से पहुंचने नहीं देते. स्किन पर पड़ने वाली UVB किरणें ही वो ताकत होती हैं, जिनसे शरीर विटामिन-डी बनाता है. लेकिन जब ये रोशनी प्रदूषण की परतों से टकराकर कमजोर पड़ जाती है, तो शरीर को उसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता. यही वजह है कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में रहने वाले लोग धूप में खड़े होने के बावजूद विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं.
भारत में समस्या इतनी बड़ी क्यों है?
सवाल ये उठता है कि जहां सालभर धूप रहती है, वहां लोग इसकी कमी से कैसे जूझ रहे हैं? वजहें कई हैं. जैसे कि लोग सुबह-शाम के बजाय दिनभर ऑफिस या घर के अंदर रहते हैं. फैशन और सनस्क्रीन के चलते धूप से बचने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा अब प्रदूषण ने तो बची-खुची रोशनी भी कम कर दी है. रिसर्च बताती है कि प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वालों को धूप में ज्यादा समय बिताना पड़ता है, फिर भी उतना विटामिन-डी नहीं बन पाता, जितना साफ-सुथरे माहौल में थोड़ी देर धूप लेने से बन जाता है.
विटामिन-डी की कमी से क्या होता है?
विटामिन-डी हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है. इसकी कमी से बच्चों में रिकेट्स (हड्डियां टेढ़ी होना) और बड़ों में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी दिक्कतें बढ़ जाती हैं. लगातार थकान रहना, मांसपेशियों में दर्द, डिप्रेशन और बार-बार बीमार पड़ना भी इसके लक्षण हो सकते हैं. हैरानी की बात है कि भारत जैसे देश में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग किसी न किसी स्तर पर इसकी कमी से जूझ रहे हैं.
क्या करना जरूरी है?
अगर आपको इससे बचना है, तो कोशिश करें कि सुबह की हल्की धूप में 20 से 30 मिनट जरूर बैठें. अगर आप मेट्रो शहर में रहते हैं तो पार्क या खुले स्थानों में धूप लेने की आदत डालें. अपनी डाइट में अंडे, मछली और दूध जैसी चीजें खाएं, जिनमें विटामिन-डी पाया जाता है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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