Karwa Chauth 2025: करवा चौथ व्रत पर गणेश जी से जुड़ी है लोगों की ये अनोखी मान्यता, जाने पूरी कथा!

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ व्रत पर गणेश जी से जुड़ी है लोगों की ये अनोखी मान्यता, जाने पूरी कथा!



Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत प्रेम के प्रतीक में रखा जाता है. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व है. इस साल यह पर्व 10 अक्टूबर 2025 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. यह निर्जला व्रत पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना में रखती हैं.

करवा चौथ पर करवा माता की पूजा की जाती है ओर मिट्टी के कलश से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, फिर महिलाएं अपने पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं. जिसके बाद कई महिलाएं इस पानी को अपने पति को पिलाती हैं या खुद पी जाती हैं.

मगर, धार्मिक मान्यता के मुताबिक महिलाओं को अपना जूठा पानी पति की जगह, अपने बच्चों को पिलाना चाहिए. लेकिन, अब लोगों के मन में यह सवाल आएगा की व्रत के बाद हम अपना जूठा पानी बच्चे को क्यों पिलाएं? चलिए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं. 

अकाल मृत्यु से होता है बचाव

करवा चौथ व्रत के बाद महिलाओं को अपना बचा हुआ पानी बच्चों को पिलाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों की अकाल मृत्यु नहीं होती, मगर ध्यान दे कि पानी तांबे के बरतन में ही पिलाएं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं हैं, मगर यह एक धार्मिक मान्यता है.

जिसका आशय बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना है.

पानी पीने के बाद लें आशीर्वाद 

हिंदू धर्म में रखे जाने वाला करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने परिवार के सदस्यों की सुख-समृद्धि की कामना के लिए करती हैं. व्रत के बाद बच्चों को अपनी मां का जूठा पानी पीकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए और परिवार के लोगों की भलाई की प्रार्थना करनी चाहिए.   

भगवान गणेश ने दिया था वरदान

भगवान गणेश जी से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार, उन्होंने माताओं को एक विशेष वरदान दिया था. कहा जाता है कि जब महिलाएं पूरे दिन करवा चौथ का व्रत रखकर शाम को चांद को देखकर पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं, तो उस जल में दिव्यता और शुभता आती है.

इस समय गणेश जी ने माताओं से कहा की मैं तुम्हें एक वरदान देता हूँ, यदि व्रत पूरा होने के बाद पति द्वारा पिलाए गए जल का थोड़ा हिस्सा बच्चे को पिलाया जाए, तो उसे अकाल मृत्यु या अचानक होने वाली दुर्घटनाओं नहीं होंगी.

ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा का पालन करने से बच्चे पर शनिदेव का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और वह सुरक्षित रहते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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