
मुसलमान “अस्सलामु अलैकुम” बोलते हैं क्योंकि यह एक अरबी अभिवादन है जिसका अर्थ है “आप पर शांति हो”. यह अभिवादन दूसरों के लिए शांति, सुरक्षा और अल्लाह से आशीर्वाद की प्रार्थना करने का एक तरीका है और यह मुसलमानों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देता है.

“अस्सलामु अलैकुम” का मतलब है “आप पर शांति हो”. यह एक अरबी अभिवादन है जो मुसलमानों के लिए एक मानक वाक्यांश है और जिसका उपयोग एक-दूसरे का अभिवादन करने और सद्भावना व्यक्त करने के लिए किया जाता है. इसका मतलब सिर्फ “शांति हो” ही नहीं, बल्कि अल्लाह से सुरक्षा, दया और आशीर्वाद की कामना भी है.

मुसलमान “अस्सलामु अलैकुम” बोलते हैं क्योंकि यह एक अरबी अभिवादन है जिसका अर्थ है “आप पर शांति हो”. यह किसी व्यक्ति की शांति, सुरक्षा और अल्लाह से आशीर्वाद के लिए एक प्रार्थना है और मुस्लिम समुदाय में सम्मान, एकता और प्रेम को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

“अस्सलामु अलैकुम” कहना मुसलमानों के लिए एक धार्मिक अभिवादन है, जिसका अर्थ है “आप पर शांति हो”. इसके कई धार्मिक महत्व हैं, जिनमें एक-दूसरे के लिए अल्लाह से शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करना और समुदाय के सदस्यों के बीच एकता और प्रेम व्यक्त करना शामिल है.

शांति और सुरक्षा की कामना जब कोई मुस्लिम “अस्सलामु अलैकुम” कहता है, तो वह दूसरे व्यक्ति के लिए अल्लाह से शांति और सुरक्षा की कामना करता है. इसका जवाब “व अलैकुम अस्सलाम” होता है, जिसका अर्थ है “और आप पर भी शांति हो”.

इस्लामी एकता को दर्शाता है. यह अभिवादन मुसलमानों को याद दिलाता है कि वे एक समुदाय का हिस्सा हैं और वे मित्र हैं, अजनबी नहीं. यह मुस्लिम और गैर-मुस्लिम दोनों के साथ सम्मानपूर्वक बातचीत करने का एक तरीका है. कुरान में भी इस अभिवादन का उल्लेख है, और पैगंबर मुहम्मद ने शांति फैलाने के निर्देश के साथ इसकी शुरुआत की थी.
Published at : 11 Oct 2025 04:05 PM (IST)