Normal Vs Satellite Internet: आज के डिजिटल युग में इंटरनेट हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. चाहे काम की बात हो, पढ़ाई हो या मनोरंजन इंटरनेट की स्पीड और भरोसेमंद कनेक्शन होना जरूरी है. लेकिन इंटरनेट के कई प्रकार होते हैं जिनमें सबसे प्रमुख हैं नॉर्मल (ब्रॉडबैंड/फाइबर) और सैटेलाइट इंटरनेट. आइए जानते हैं इनके बीच क्या अंतर है और कौन ज्यादा तेज है.
नॉर्मल इंटरनेट क्या है?
नॉर्मल इंटरनेट में मुख्य रूप से DSL, केबल, फाइबर ऑप्टिक और मोबाइल डेटा शामिल हैं. यह आमतौर पर भूमिगत केबल या टावर के जरिए कनेक्शन देता है. फाइबर ब्रॉडबैंड आजकल 100 Mbps से लेकर 1 Gbps तक की स्पीड दे सकता है. नॉर्मल इंटरनेट में लेटेंसी कम होती है जो गेमिंग और वीडियो कॉल्स के लिए सही होता है. केबल और फाइबर में कनेक्शन ज्यादातर समय स्थिर रहता है, बारिश या मौसम का असर कम पड़ता है. नॉर्मल इंटरनेट शहरों और कस्बों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और यह घरेलू और ऑफिस कनेक्शन के लिए उपयुक्त है.
सैटेलाइट इंटरनेट क्या है?
सैटेलाइट इंटरनेट के जरिए डेटा सीधे सैटेलाइट के माध्यम से आपके डिवाइस तक पहुंचता है, जमीन पर केबल की जरूरत नहीं होती. यह उन इलाकों में उपयोगी है जहां केबल या फाइबर नहीं पहुंच पाया. हाल के समय में Starlink और OneWeb जैसी कंपनियां 50 Mbps से 250 Mbps तक की स्पीड देती हैं. सैटेलाइट इंटरनेट में लेटेंसी नॉर्मल इंटरनेट की तुलना में ज्यादा होती है क्योंकि डेटा को सैटेलाइट तक और वापस भेजना पड़ता है. मौसम जैसे भारी बारिश या तूफान से कनेक्शन प्रभावित हो सकता है. सैटेलाइट इंटरनेट ग्रामीण या दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने का अच्छा विकल्प है लेकिन शहरों में नॉर्मल इंटरनेट की तुलना में यह थोड़ा महंगा और लेटेंसी में धीमा हो सकता है.
कौन ज्यादा तेज है?
स्पीड के मामले में नॉर्मल इंटरनेट (फाइबर) सैटेलाइट इंटरनेट से ज्यादा तेज और भरोसेमंद है. फाइबर में लेटेंसी कम होती है और यह वीडियो कॉल, ऑनलाइन गेमिंग और हाई-रिज़ॉल्यूशन स्ट्रीमिंग के लिए बेहतर विकल्प है. सैटेलाइट इंटरनेट का फायदा उस समय होता है जब आपके पास नॉर्मल ब्रॉडबैंड का विकल्प नहीं है. हालांकि नई तकनीक के आने के बाद सैटेलाइट इंटरनेट की स्पीड में सुधार हुआ है लेकिन लेटेंसी और मौसम पर असर अभी भी चुनौती बना हुआ है.
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