आजकल पालतू जानवर रखना आम बात हो गई है. लोग कुत्ता, बिल्ली, खरगोश, तोता, यहां तक कि मछलियां और कछुए तक अपने घर में पालते हैं. ये जानवर न सिर्फ हमारे अच्छे दोस्त साबित होते हैं बल्कि तनाव कम करने, अकेलापन दूर करने और मेंटल हेल्थ बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हीं प्यारे पालतू जानवरों से कुछ खतरनाक बीमारियां भी फैल सकती हैं? अगर सावधानी न बरती जाए तो इंसान गंभीर संक्रमण का शिकार हो सकता है. आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी बीमारियां पालतू जानवरों से इंसानों तक पहुंच सकती हैं.
1. रेबीज (Rabies)
रेबीज सबसे खतरनाक बीमारी मानी जाती है, जो आमतौर पर कुत्तों के काटने से फैलती है. यह वायरस ब्रेन और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. अगर समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए पालतू कुत्ते और बिल्ली को नियमित रूप से रेबीज का टीका लगवाना बेहद जरूरी है.
2. टॉक्सोप्लाज्मोसिस (Toxoplasmosis)
यह बीमारी खासकर बिल्लियों से फैलती है. बिल्लियों के मल में मौजूद एक परजीवी Toxoplasma gondii इंसान को संक्रमित कर सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह बीमारी और भी खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकती है.
3. रिंगवर्म (Ringworm)
रिंगवर्म एक फंगल इंफेक्शन है जो कुत्ता-बिल्ली समेत कई जानवरों से इंसानों तक फैल सकता है. इसमें त्वचा पर गोलाकार लाल चकत्ते हो जाते हैं, जो खुजली और जलन पैदा करते हैं.
4. सैल्मोनेला (Salmonella)
कछुए, पक्षी और यहां तक कि बिल्लियां भी सैल्मोनेला नामक बैक्टीरिया फैला सकती हैं. इसके कारण दस्त, बुखार, पेट दर्द और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. छोटे बच्चों और बुजुर्गों में यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है.
5. एस्केरियासिस (Ascariasis) और अन्य परजीवी रोग
कुत्ते और बिल्लियां कई प्रकार के कीड़े या परजीवी इंसानों तक पहुंचा सकते हैं. इनके अंडे जानवरों के मल के जरिए घर के वातावरण में आ जाते हैं और फिर इंसान के शरीर में पहुंचकर आंतों को संक्रमित कर सकते हैं.
6. बर्ड फ्लू (Bird Flu)
अगर घर में तोते, कबूतर या अन्य पक्षी हैं तो एवियन इन्फ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू फैलने का खतरा हो सकता है. हालांकि यह हर समय नहीं फैलता, लेकिन इंफेक्शन होने पर यह बीमारी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है.
बचाव के उपाय
- पालतू जानवरों का समय-समय पर वैक्सीनेशन कराएं.
- उनकी सफाई का पूरा ध्यान रखें.
- घर में बच्चों और बुजुर्गों को पालतू जानवरों के मल-मूत्र से दूर रखें.
- जानवरों को छूने के बाद हमेशा साबुन से हाथ धोएं.
- बीमार दिखने पर पालतू जानवर को तुरंत पशु-चिकित्सक के पास ले जाएं.
रिसर्च रिपोर्ट और एक्सपर्ट की राय
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में National Journal of Community Medicine में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि 92 प्रतिशत कुत्ता मालिक यह जानते थे कि डीवॉर्मिंग (deworming) और टीकाकरण (vaccination) से ज़ूनोटिक रोगों को रोका जा सकता है, लेकिन फ्ली और टिक्स के जरिए फैलने वाले संभावित रोगों के बारे में जागरूकता बेहद कम थी. वहीं, The Times of India से बातचीत में CK Birla अस्पताल, दिल्ली के पल्मोनोलॉजी निदेशक डॉ. विकास मित्तल ने हाइडैटिड डिज़ीज जैसे परजीवी इंफेक्शन को इंसानों के लिए बड़ा जोखिम बताते हुए समय पर पहचान और इलाज की जरूरत पर जोर दिया. इसी तरह, pidjournal.com में प्रकाशित शोध में CARE अस्पताल, भुवनेश्वर की डॉ. ममता पांडा ने बताया कि अब तक पहचाने गए 1,407 मानव रोगों में से 816 ज़ूनोटिक हैं, जिनमें से लगभग 75 प्रतिशत उभरते या दुबारा उभरते रोग इन्हीं से जुड़े पाए गए हैं, जो जूनोसिस की गंभीरता को जाहिर करता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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