
ब्रह्मचर्य का अर्थ है “ब्रह्म के मार्ग पर चलना”, जिसका पालन करने वाला व्यक्ति आत्म-संयम, अनुशासन और पवित्रता का जीवन जीता है. यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि मन, वचन, दृष्टि और कर्म के स्तर पर भी इंद्रियों को नियंत्रित करना है ताकि पवित्र ज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज की जा सके. ब्रह्मचर्य के पालन से असाधारण ज्ञान, एकाग्रता और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है.

ब्रह्मचर्य का अर्थ है ब्रह्म के मार्ग पर चलना. यह सिर्फ यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मन, वचन, दृष्टि और व्यवहार पर नियंत्रण रखना भी शामिल है. ब्रह्मचर्य का पालन करने से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा का संरक्षण होता है, जो आत्म-अनुशासन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है. अगर आप विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर पाते. तो आइए प्रेमानंद महराज से जानें कुछ उपाय जो विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने में मदद कर सकते हैं.

अगर विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं हो पा रहा है, तो प्रेमानंद महाराज के अनुसार कुछ उपाय हैं. मन को भगवान के नाम में लगाएं, संतों के चरित्रों का श्रवण करें, बुरी संगत और व्यर्थ की चीजों से बचें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएं. इसमें नियमित भोजन, सही समय पर सोना, उठना और पढ़ाई या सेवा में व्यस्त रहना शामिल है.

विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं हो पाता, तो अच्छे परिणामों के लिए अच्छी संगति में रहना चाहिए और अनुशासन का पालन करना चाहिए. ऐसे दोस्तों के साथ रहें जो सकारात्मक और अनुशासित हों. गलत संगति से बचें.

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, यदि विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं हो पा रहा है, तो इसके लिए सत्संग, नियम और अनुशासित दिनचर्या अपनाना आवश्यक है. इसके अतिरिक्त, नजरों पर संयम रखना, अश्लील चीजों से दूर रहना और शारीरिक व्यायाम व योग-प्राणायाम करना चाहिए. महाराज जी ने यह भी बताया है कि मन को विषय-विकारों में फंसाने वाले कारणों को पहचान कर उन से दूरी बना लेनी चाहिए और भगवान से शक्ति मांगनी चाहिए.

अगर विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं हो पा रहा है, तो प्रेमानंद महाराज के अनुसार, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना, बुरी संगत और व्यभिचार से दूर रहना, पवित्र भोजन करना, और मन को एकाग्र करने के लिए भगवान का नाम जपना चाहिए.
Published at : 13 Oct 2025 05:39 PM (IST)