पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में मेडिकल छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है. ओडिशा के बालासोर की रहने वाली पीड़िता बीते शुक्रवार रात अपने दोस्त के साथ कॉलेज परिसर के बाहर खड़ी थी, तभी पांच युवकों ने उसे अगवा कर दरिंदगी का शिकार बना डाला. इसके बाद उसे मुंह बंद रखने के लिए आरोपियों ने पांच हजार रुपए का ऑफर भी दिया. पीड़िता ने डर की वजह से पहले मारपीट की शिकायत की, लेकिन पुलिस जांच के दौरान गैंगरेप की बात सामने आ गई. इसके बाद इस मामले ने देखते ही देखते तूल पकड़ लिया.
आसनसोल-दुर्गापुर के पुलिस आयुक्त सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने कहा, ”हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से दुखी हैं. हमने पीड़िता के परिवार को भरोसा दिलाया है कि न्याय जरूर मिलेगा. उन्हें हमारी ओर से सुरक्षा का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया.” 3 आरोपियों को 12 अक्टूबर को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया. सोमवार को पकड़े गए 2 आरोपियों को 9 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीड़िता ने सबसे पहले कॉलेज प्रशासन को तीन-चार लाइन का एक छोटा-सा लिखित बयान दिया था. उस बयान में उसने बस इतना लिखा था कि वो अपने एक दोस्त के साथ कैंपस के बाहर टहल रही थी, तभी कुछ लोगों ने उन्हें घेरकर उनके साथ मारपीट की थी. कॉलेज प्रशासन ने तुरंत पुलिस को सूचित किया. इस बयान के आधार पर केस दर्ज करने के बाद देर रात जांच शुरू की गई.
शुरुआती छानबीन में पुलिस को पता चला कि यह वारदात बीते शुक्रवार की रात 8 बजे से 8.45 बजे के बीच हुई थी. पहले तीन युवकों ने छात्रा को घेर लिया. जब उसने मदद के लिए अपने दोस्तों को फोन करने की कोशिश की, तो उसका मोबाइल छीन लिया गया. इसके बाद दो और लोग मौके पर पहुंचे. पांचों ने मिलकर उसे अगवा कर लिया. इसके बाद पास के जंगल में ले गए, जहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया.
इसके बाद आरोपियों ने छात्रा को धमकाते हुए कहा कि यदि वो किसी को कुछ बताए बिना चुपचाप चली जाएगी, तो उसे पांच हजार रुपए दिए जाएंगे. इस घटना के वक्त छात्रा के साथ मौजूद उसका पुरुष मित्र भी अब पुलिस रडार पर है. उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. पीड़िता के पिता ने भी एक अलग शिकायत दर्ज कराई है. उनके अनुसार, जब बदमाशों ने उनकी बेटी को घेरा, तो दोस्त मौके से भाग गया.
इसके साथ ही पिता ने ममता सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्री खुद एक महिला हैं, फिर भी ऐसा गैर-जिम्मेदाराना बयान कैसे दे सकती हैं? क्या महिलाओं को अपनी नौकरी और पढ़ाई छोड़कर घर बैठ जाना चाहिए? ऐसा लगता है कि बंगाल में औरंगजेब का शासन है. मैं अपनी बेटी को वापस ओडिशा ले जाना चाहता हूं. हमें डर है कि कोई उसकी हत्या न कर दे. उसकी जान पहले है, करियर बाद में.”
उनका यह बयान तब आया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवादित टिप्पणी की थी कि छात्राओं को रात में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. ममता बनर्जी ने कहा था, ”जो कुछ हुआ, उससे मैं स्तब्ध हूं. लेकिन निजी मेडिकल कॉलेजों को अपनी छात्राओं का ध्यान रखना चाहिए. उन्हें रात में बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.” इसके बाद उन्होंने सफाई दी थी कि उनके बयान को संदर्भ से हटकर पेश किया गया.
उनके बयान पर ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रावती परिदा ने कहा, ”ममता बनर्जी जैसी महिला नेता, जिन्हें दीदी कहा जाता है, उन्होंने महिलाओं को निराश किया है. उनके इस बयान ने बंगाल की साढ़े चार करोड़ महिलाओं का अपमान किया है.” ओडिशा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सोवाना मोहंती भी दुर्गापुर पहुंचीं और पीड़िता के परिवार से मुलाकात किया. उन्होंने कहा कि यह मामला महिला सुरक्षा की शर्मनाक मिसाल है.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस सोमवार को खुद दुर्गापुर पहुंचे और पीड़िता के परिवार से मुलाकात की है. उन्होंने कहा, ”यह बहुत ही चौंकाने वाली घटना है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. मैं पूरे विश्वास से नहीं कह सकता कि बंगाल सुरक्षित है. बंगाल कभी भारत के पुनर्जागरण का नेतृत्व करता था. यहां पर आज एक दूसरे पुनर्जागरण की जरूरत लग रही है, जहां लड़कियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में हो.”
इस घटना ने सियासी भूचाल ला दिया है. बीजेपी ने दुर्गापुर में छह दिवसीय धरना शुरू कर दिया है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि गिरफ्तार आरोपियों में से एक तृणमूल कांग्रेस से जुड़ा है और दुर्गापुर नगर निगम में अनुबंध पर काम करता है. उसके पिता ममता सरकार में मंत्री हैं. यह साफ तौर पर राजनीतिक संरक्षण का मामला है. यह गिरफ्तारी सिर्फ दिखावा है. आरोपी 20 दिन में बाहर आ जाएंगे.
उन्होंने यह भी दावा किया कि पीड़िता के परिवार को मेडिकल रिपोर्ट तक पहुंच से वंचित रखा गया है. वहीं, टीएमसी के आईटी सेल प्रमुख देबांग्शु भट्टाचार्य ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यदि कोई आरोपी टीएमसी समर्थक है, तो इसका मतलब यह नहीं कि पार्टी दोषी है. हमारे पास जब 50 प्रतिशत वोट शेयर है, तो कुछ अपराधियों का समर्थक होना सांख्यिकीय रूप से सामान्य बात है.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस घटना पर गहरी पीड़ा जताई है. कॉलेज प्रशासन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और विश्वविद्यालय से शैक्षणिक सुरक्षा और सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. आयोग की अध्यक्ष विजया राहतकर ने कहा कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है. पीड़िता को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए और त्वरित सुनवाई से कठोर सजा दी जानी चाहिए.
आयोग ने 11 सूत्रीय निर्देश जारी करते हुए कहा कि यदि पीड़िता अपने कॉलेज में लौटने से डरती है, तो उसे किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित होने का विकल्प दिया जाए. कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सुरक्षा ऑडिट कराने और पुलिस चौकी स्थापित करने की भी मांग की गई है. इस घटना की वजह से बंगाल की राजनीति, महिला सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही का केंद्रीय मुद्दा बन चुका है.
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