Jagannath Dham Prasad Rules: पुरी उड़ीसा का जगन्नाथ धाम, जहां सक्षात भगवान विराजमान करते हैं. भारत के पूर्वी तट पर स्थित जगन्नाथ स्वामी के इस मंदिर में उनके साथ बलराम और बहन सुभद्रा भी विराजती हैं.
आज के इस लेख में हम आपको जगन्नाथ धाम से जुड़े अद्भूत प्रसाद नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे.
जगन्नाथपुरी में प्रसाद का अद्भूत नियम
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने अपनी कथा में जगन्नाथ धाम में मिलने वाले प्रसाद से जुड़े अद्भूत नियम के बारे में बताते हुए कहा कि, ‘जगन्नाथपुरी में नियम है कि, अगर आप प्रसाद खा रहा है, और कोई दूसरा व्यक्ति जिसे पत्तल नहीं मिली है, वो आकर एक ही पत्तल मे प्रसाद ग्रहण कर सकता है, और आप उसे उठा भी नहीं सकते हैं.
महाप्रसाद का नियम ही यही कहता है कि, अगर कोई आपके पत्तल में से खाना खा रहा है, तो आप उसका नाम, जाति और पता कुछ भी नहीं पूछेंगे.
जानवरों को भी प्रसाद पाने की छूट
इंद्रेश महाराज ने आगे कहा कि, स्कंद पुराण में श्री वेदव्यास जी कहते हैं कि, महाप्रसाद पाने के दौरान कोई कुकर, शुकर या फिर बिल्ली आ गई, और उसने आकर आपके पत्तल में से महाप्रसाद को चाटना शुरू कर दिया तो आप उसको भी भगा नहीं सकते हैं. और ये नियम आज भी जगन्नाथ धाम में लागू है.
जगन्नाथ धाम में मुख्य रूप से चावल से बना प्रसाद भगवान जगन्नाथ स्वामी को अर्पित किया जाता है. इस प्रसाद की महिमा इतनी विशेष है कि, इसका सेवन आप एकादशी वाले दिन भी कर सकते हैं. कोशिश करें कि महाप्रसाद का वितरण सभी लोगों में श्रद्धा भाव के साथ करें.
महाप्रसाद का अनादर करने से क्या होता है?
माना जाता है कि, जो व्यक्ति महाप्रसाद के प्रति किसी भी तरह की हीन भावना रखता है, उसका अपराध करता है, वो मरने के बाद कुंभी पाकम नामक नर्क में जाता है.
इसलिए कहा जाता है कि महाप्रसाद को साधारण चावल-दाल का भोज समझकर ग्रहण नहीं करना चाहिए, साक्षात उसे महाप्रभु का आशीर्वाद समझकर ग्रहण कीजिए.
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