
स्मार्टफोन लगातार रेडियोफ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन छोड़ते हैं जो लंबे समय तक शरीर के संपर्क में रहने पर हानिकारक हो सकता है. जब आप सोते समय फोन को तकिए के पास या सिर के पास रखते हैं तो ये रेडिएशन सीधे आपके मस्तिष्क पर असर डाल सकता है.

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि यह रेडिएशन नींद की गुणवत्ता को खराब कर सकता है, सिरदर्द, थकान, और तनाव जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है. फोन की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के स्राव को प्रभावित करती है जो नींद लाने में मदद करता है. अगर आप सोने से पहले फोन चलाते हैं या उसे पास रखकर सोते हैं तो नींद देर से आती है और नींद पूरी नहीं होती. इससे अगले दिन सुस्ती, मूड में बदलाव और काम में ध्यान की कमी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं.

फोन से मिलने वाले लगातार नोटिफिकेशन, वाइब्रेशन या कॉल अलर्ट हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. कई बार रात में अनजाने में फोन बजता है और नींद टूट जाती है. यह आदत धीरे-धीरे एंग्जायटी और इंसोम्निया (नींद न आने की बीमारी) का कारण बन सकती है.

कई मामलों में लोगों के फोन चार्जिंग पर लगे हुए ही तकिए के नीचे रखे रहते हैं. यह आदत शॉर्ट सर्किट या बैटरी ओवरहीटिंग के कारण आग लगने तक का खतरा पैदा कर सकती है. खासतौर पर रात में चार्ज करते समय फोन को सिर या शरीर के पास रखना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.

फोन को बेड से दूर रखें, कोशिश करें कि सोने से पहले फोन को कमरे के किसी कोने या टेबल पर रख दें. अगर अलार्म के लिए फोन पास रखना ज़रूरी है तो एयरप्लेन मोड में डालें ताकि रेडिएशन कम हो. सोने से 30 मिनट पहले फोन बंद करें इससे दिमाग को रिलैक्स होने का समय मिलेगा और नींद जल्दी आएगी. अगर संभव हो तो अलार्म के लिए फोन की जगह घड़ी का इस्तेमाल करें.

स्मार्टफोन हमारी ज़रूरत जरूर हैं लेकिन सोते समय सिर के पास रखना एक बड़ी गलती है. यह धीरे-धीरे हमारी नींद, दिमाग और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आज से ही यह आदत छोड़ दें और फोन को अपने बिस्तर से दूर रखें.
Published at : 15 Oct 2025 04:35 PM (IST)
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