Premanand Maharaj: मनुष्य का मन काफी चंचल है, जो कभी स्थिर नहीं होता है. मन में उठने वाले अच्छे और बुरे दोनों ही विचार हमें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करते हैं. कई लोगों को दूसरी औरत को देखकर मन में गंदे विचार भी आते हैं.
वृंदावन संत श्री प्रेमानंद महाराज से जानिए, दूसरी औरत को देखकर गंदे विचार आने पर क्या करना चाहिए? साथ ही मन को कैसे साधे की वासना की भावना जागृत न हो.
नेत्रों की चंचलता को कैसे काबू करें?
वृंदावन स्थित श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम में प्रतिदिन प्रेमानंद महाराज अपने भक्तों के साथ एकांतिक वार्तालाप करते हैं. इस वार्तालाप के दौरान एक भक्त ने महाराज जी से सवाल करते हुए पूछा कि, नेत्रों की चंचलता को कैसे काबू में करें?
इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, चंचल मन को काबू आपको ही करना होगा. गलत व्यभिचार से बचने के लिए नासाग्र दृष्टि योग का अभ्यास करें. जिस भी भगवान में आस्था है, उनका नाम जप करें.
स्पर्श, रूप, गंध कामनाओं ने सभी को वश में किया
महाराज जी ने आगे कहा कि, इस दृष्टि से क्या देखना चाहते हो? मल-मूत्र के द्वार, पूरा शरीर चमड़े से ढका है. क्या जिस सुख को भोगना चाहते थे, उसकी प्राप्ति हो गई! असली सुख तो भगवान नाम के रसामृत में है, उनके दर्शन पाने के लिए मन व्याकुल होना चाहिए.
स्पर्श,रूप, गंध की कामनाओं ने सभी को अपने वश में लपेट रखा है. अगर भगवान ने नेत्र दिए हैं तो उसका सदुपयोग करो, नहीं तो अगले जन्म भगवान नेत्रहीन बनाकर भेजेगा. नेत्र मिला है तो संत दर्शन और प्रभु के दर्शन करो.
मन में गंदे विचार नष्ट कर देंगे- प्रेमानंद महाराज
अपनी पत्नी के अलावा किसी भी पराई स्त्री के प्रति मन में गंदे विचार लाना पाप का भागीदारी बनाता है. किसी भी माताएं-बहनों को काम दृष्टि से देखोगे तो संपूर्ण शक्ति, पुण्य और तेज नष्ट हो जाएगी.
आज की नई पीढ़ी मोबाइल में गंदी-गंदी चीजें देखकर ही गलत आचरण अपनाती जा रही है. महाराज जी ने कहा कि, मनुष्य जीवन मिला है तो अच्छे कर्मों में मन लगाएं, नजरों का इस्तेमाल केवल राधा नाम और दिव्य दर्शन के लिए ही होना चाहिए, अन्यथा शरीर का नाश होना तय है.
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