Shardiya Navratri 2025: कन्या पूजन से दूर होंगे हर संकट! जानें सही विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Shardiya Navratri 2025: कन्या पूजन से दूर होंगे हर संकट! जानें सही विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व



Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं. कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है.

मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं सम्पन्नता आती है. कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता है. इस बीच यदि कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है.

ज्योतिषाचार्या से जानिए कन्या पूजन का महत्व

श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि, इस साल 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है, जिसका समापन 1 अक्टूबर को होगा.

सबसे खास बात यह है कि इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है. इस बार 24 और 25 सितंबर को तृतीया तिथि रहेगी. इस कारण शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर को होगा और इसी दिन दशहरा भी मनाया जायेगा. नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है.

अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन

आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है. लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है.

इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं. कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं.

इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें. कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं.

कन्या पूजन

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि नवरात्रि में कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया गया है.सामान्यतः लोग सभी नौ दिनों में कन्याओं का पूजन कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश श्रद्धालु दुर्गा अष्टमी और महानवमी पर ही इसे करते हैं.

इस बार शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन 30 सितंबर और 1 अक्तूबर को महानवमी पर किया जाएगा.

शुभ योग और नक्षत्र

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस वर्ष दुर्गा अष्टमी पर शोभन योग बन रहा है, जो 1 अक्तूबर की रात 1:00 बजे तक रहेगा. उसके बाद अतिगंड योग प्रारंभ होगा.

शोभन योग को अत्यंत मंगलकारी माना जाता है, जिसमें पूजा-पाठ और शुभ कार्य करना श्रेष्ठ होता है. इस दिन प्रातःकाल तक मूल नक्षत्र रहेगा और सुबह 6:17 बजे से पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र आरंभ होगा. इन शुभ संयोगों में मां दुर्गा की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है.

कन्या और देवी के शस्त्रों की पूजा

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें. इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए. इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए.

इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए. दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए.पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए.
 
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया हर आयु की कन्या का होता है अलग महत्व

  •  2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है. इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है.
  • 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है.
  • 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है. इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है.
  • 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है. इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है.
  • 6 साल की कन्या कालिका होती है. इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है.
  • 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है. इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है.
  • 8 साल की कन्या शांभवी होती है. इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है.
  • 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है. इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं.
  • 10 साल की कन्या सुभद्रा होती है. सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है.

कन्या पूजन से मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

विवाह में देरी
यदि शादी में देरी हो रही है तो पांच साल की कन्या को खाना खिलाकर. श्रृंगार का सामान भेंट करें.

धन संबंधी समस्या 
पैसों की कमी से परेशान हैं तो चार साल की कन्या को खीर खिलाएं. इसके बाद पीले कपड़े और दक्षिणा दें.

शत्रु बाधा और काम में रुकावटें
नौ साल की तीन कन्याओं को भोजन सामग्री और कपड़ें दें.

पारिवारिक क्लेश
तीन और दस साल की कन्याओं को मिठाई दें.

बेरोजगारी
छह साल की कन्या को छाता और कपड़ें भेंट करें.

सभी समस्याओं का निवारण
पांच से 10 साल की कन्याओं को भोजन सामग्री देकर दूध, पानी या फलों का रस भेंट करें. सौन्दर्य सामग्री भी दें.
 
पुराणों में है कन्या भोज का महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पौराणिक धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार नवरात्री के अंतिम दिन कौमारी पूजन आवश्यक होता है. क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्र व्रत अधूरे माने जाते हैं.

कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को उपयुक्त माना जाता है. कन्या भोज के लिए दस वर्ष तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं.

अष्टमी-नवमी का महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म के लोगों के लिए नवरात्रि के हर दिन का खास महत्व है. जो लोग नवरात्रि के 9 दिन तक पूजा-पाठ या व्रत नहीं रख पाते हैं, वो केवल अष्टमी और नवमी का व्रत रखते हैं.

नवरात्रि के पर्व का समापन नवमी के दिन पूजा-पाठ और कन्या पूजन के बाद होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग इन दोनों तिथि के दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

बता दें कि नवमी को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है, जिस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था.

अष्टमी और नवमी 
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 29 सितंबर को शाम 04:31 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 30 सितंबर को शाम 06:06 मिनट समाप्त होगी. इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 01 अक्टूबर को रात 7:01 मिनट पर है.

महा अष्टमी 30 सितंबर
अष्टमी तिथि की शुरुआत- 29 सितंबर को शाम 04:31 मिनट पर
अष्टमी तिथि का समापन- 30 सितंबर को शाम 06:06 मिनट पर

महानवमी 1 अक्टूबर
नवमी तिथि की शुरुआत- 30 सितंबर को शाम 6:06 मिनट पर
नवमी तिथि का समापन- 01 अक्टूबर को रात 7:01 मिनट पर

इस तरह करें पूजन
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करना चाहिए. इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं. इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए.

इससे भक्त के पापों का नाश होता है. इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. इससे भक्त की तरक्की होती है. पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए. अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए और कलावा बांधना चाहिए.

कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्य का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसे. 

मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाएं
वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है. लेकिन अगर आपका सामाथ्र्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं. भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सामथ्र्य अनुसार दक्षिणा अवश्य दें.क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है.

अगर आप चाहते हैं तो कन्याओं को अन्य कोई भेंट भी दे सकते हैं. अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई कोई भूल की क्षमा मांगें. ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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