रणजी ट्रॉफी 2025-26 में मुंबई की टीम अपना पहला मुकाबला जम्मू कश्मीर के खिलाफ खेलने उतरी है. श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में हो रहे इस मुकाबले में मुंबई की टीम का हिस्सा इरफान उमैर भी हैं. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज इरफान का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ये डेब्यू मुकाबला है. उमैर ने पहली पारी में कामरान इकबाल को आउट करके अपने फर्स्ट क्लास करियर का पहला विकेट झटका.
29 साल के इरफान उमैर की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. इरफान ने तमाम मुश्किलों को झेलते हुए झारखंड की राजधानी रांची से मुंबई तक का सफर तय किया. अब उन्होंने मुंबई की रणजी टीम में अपनी जगह बना ल. इरफान ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि वो साल 2017 में जब मुंबई आए थे, तो उनके पास केवल 5,500 रुपये थे.
इरफान उमैर कुर्ला स्टेशन पर उतरे और एक झुग्गी बस्ती में 12 लोगों के साथ एक कमरे में रहने लगे. इरफान ने कहा कि उनके लिए शुरुआती साल बहुत कठिन रहे. उन्होंने होटल में वेटर (सर्वर) का काम किया, जहां उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 300 रुपये मिलते थे. इरफान को कभी स्टेशन पर सोना पड़ा, तो कभी गुजारा चलाने के लिए लोकल किचन में सुशी (जापानी डिश) बनाना सीखा.
17 की उम्र में लिया बड़ा फैसला
इरफान उमैर जब 17 साल के हुए, तब जाकर उन्होंने क्रिकेट को करियर बनाने का फैसला लिया था. उनके माता-पिता को यह पसंद नहीं आया. उन्होंने इरफान के सामने शर्त रखी कि पहले वो 10वीं पास करें, फिर इसके बारे में सोचें. इरफान के पिता सऊदी अरब में नौकरी करते थे, जो बाद में घर में वापस आ गए थे. ऐसे में उनकी मां चाहती थीं कि बेटा नौकरी ही करे. इरफान ने अपने चाचा की मदद से माता-पिता को मनाया.

मुंबई में इरफान उमैर की मुलाकात स्थानीय कोच प्रशांत शेट्टी से हुई. इरफान की गेंदबाजी देख प्रशांत काफी प्रभावित हुए और उन्होंने बांद्रा पूर्व के एक नामी क्लब एमआईजी से बात की. हालांकि इस सबके बीच इरफान के लिए असली मुश्किल गुजर-बसर करना था. इरफान ने जब पहले दिन वेटर की यूनिफॉर्म पहनकर मेहमानों को खाना परोसा, तो वो रो पड़े थे. उन्होंने कहा, ‘वो मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था. मैंने सोचा कि यहां क्रिकेट खेलने आया हूं या वेटर बनने. रोजाना 300 रुपये कमाता था.’
मुंबई की ओर से खेलने के इच्छुक किसी बाहरी व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 1 साल तक स्थानीय निवासी होना जरूर था. इरफान उमैर को ये नियम नहीं पता था, इसलिए उन्हें सर्टिफिकेट बनवाने के लिए एक एजेंट को आठ हजार रुपये देने पड़े. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई और उन्हें डबल शिफ्ट करनी पड़ी. यानी दिन-रात कैटरिंग का काम करना पड़ा.
इरफान उमैर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मुंबई में ही फंस गए थे. उनके रूममेट के पास एक क्रेडिट कार्ड था, जिसके सहारे दोनों का खर्च चला. हालांकि इसके लिए हर महीने 3500 रुपये सिर्फ ब्याज के तौर पर चुकाना था. बाद में उनके दोस्त को विदेश में नौकरी मिल गई, तो उसने सारा पैसा चुका दिया.
इरफान उमैर ने आगे चलकर सीसीआई (क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया) जॉइन किया. इसी बीच उन्होंने बांद्रा के एक रेस्टोरेंट में काम किया, जहां उन्होंने सुशी बनाना सीखा. टीम के बाकी खिलाड़ी महंगी गाड़ियों से सीसीआई आते थे, लेकिन इरफान के पास पैसे नहीं थे. इसलिए वह बहाने बनाकर टीममेट्स के साथ घूमने नहीं जाते.
ISPL ने बदल दी किस्मत
उन्हें किसी ने सुझाव दिया कि टेनिस बॉल क्रिकेट खेलकर अतिरिक्त पैसा कमाया जा सकता है. फिर क्या था… इरफान उमैर टेनिस बॉल क्रिकेट में छा गए और हर टीम की पहली पसंद बन गए. इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (ISPL) में उन्हें फाल्कन राइजर्स हैदराबाद टीम ने 16 लाख रुपये में खरीदा. इसके बाद उन्होंने होटल में काम करना छोड़ दिया.
इरफान उमैर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) की ओर से आयोजित एक टैलेंट हंट के दौरान चीफ सेलेक्टर संजय पाटिल की उन पर नजर गई. फिर क्या था, उन्हें मुंबई की टीम के नेट बॉलर के रूप में चुना गया. पिछले रणजी सीजन से पहले उन्हें सेलेक्शन ट्रायल के लिए भी चुना गया था, लेकिन उनकी किस्मत तब खराब थी. उनके मकान मालिक ने कमरा खाली करने को कह दिया क्योंकि देर रात वो घर लौटे थे. वो ट्रायल में नहीं जा सके और एक और मौका चला गया.
इसके बाद मुंबई टी20 लीग के दौरान उनकी मुलाकात अभिषेक नायर से हुई. नायर ने उनसे कहा कि मेहनत करते रहें, मौका जरूर मिलेगा. आखिरकार, इरफान उमैर मुंबई की रणजी टीम में शामिल हुए. इरफान उमैर की कहानी हमें यही सिखाती है कि अगर आप हिम्मती और मेहनती हैं, तो सपनों का शहर किसी का भी बन सकता है.
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