Metabolic Syndrome: भारत में हाल ही में हुई एक रिसर्च ने बड़ी चेतावनी दी है. इस रिसर्च में पाया गया है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाली महिलाओं में गाइनेकोलॉजिकल कैंसर यानी प्रजनन अंगों के कैंसर का खतरा सामान्य महिलाओं के तुलना में कहीं गुना ज्यादा होता है. इनमें एंडोमेट्रियल, ओवरी, सर्विक्स, वजाइना और वल्वा के कैंसर शामिल हैं. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा कैसे बढ़ रहा है और रिसर्च में क्या-क्या सामने आया है.
क्या है मेटाबॉलिक सिंड्रोम?
मेटाबॉलिक सिंड्रोम सेहत से जुड़ी समस्याओं का एक समूह होता है, जो हार्ट की समस्या, स्ट्रोक और टाइप टू डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है. इसे तब डायग्नोज किया जाता है, जब किसी महिला को कम से कम तीन लक्षण पाए जाते हैं. वहीं इन लक्षणों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, मोटापा, बेड कोलेस्ट्रॉल और बड़े हुए ट्राइग्लिसराइड शामिल हो. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम से होने वाले कैंसर की समस्या युवाओं में भी बढ़ रही है, खासकर उन महिलाओं इसका खतरा ज्यादा है, जिन्हें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है.
क्या है मेटाबॉलिक सिंड्रोम और कैंसर का कनेक्शन?
यह रिसर्च भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल और एमएस रमैया यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज के वैज्ञानिकों ने की है. वहीं यह भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण कोरिया सहित कई देशों की 25 रिसर्च के मेटा-विश्लेषण पर आधारित है. इसमें सामने आया है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा काफी ज्यादा होता है. रिसर्च में यह देखा गया है कि एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा लगभग दो गुना, ओवरी कैंसर का खतरा तीन गुना और सर्विक्स कैंसर का खतरा करीब 2 गुना बढ़ जाता है. इसके अलावा क्रॉस सेक्शनल और कोहोर्ट स्टडी में भी सभी प्रकार के गायनोलॉजिकल कैंसर का खतरा बड़ा हुआ पाया गया है, जो साफ करता है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम महिलाओं में प्रजनन अंगों के कैंसर का एक महत्वपूर्ण कारक है.
क्यों बढ़ता है कैंसर का खतरा?
इस रिसर्च के अनुसार मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस, मोटापा और क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन शरीर में ऐसे माहौल पैदा करते हैं, जो कैंसर को बढ़ावा देते हैं. वहीं हाई इन्सुलिन लेवल हार्मोन असंतुलन पैदा करता है और प्रजनन अंगों में फैट जमा होने से कोशिकाओं की सेहत प्रभावित होती है. इसके अलावा WHO-IARC की GLOBOCAN 2022 रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 1.47 मिलियन गाइनेकोलॉजिकल कैंसर केस दर्ज किए गए हैं. वहीं भारत में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कैंसर सर्विक्स और ओवरी कैंसर है. जिनमें 2022 में लगभग 1.27 लाख सर्विक्स कैंसर के केस आए, जबकि उस वर्ष इस प्रकार के कैंसर के कारण 80,000 महिलाओं की जान चली गई.
ये भी पढ़ें-एक ही कंधे पर बैग लटकाने की आदत बन सकती है गठिया का खतरा, समय रहते हो जाएं सावधान
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Calculate The Age Through Age Calculator