हर साल दिवाली के समय दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. इस कारण पिछले कई सालों से यहां पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगाई जाती रही है, लेकिन इस साल सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर कुछ खास शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत दी है. हालांकि, कई लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ अब भी चिंतित हैं. उनका कहना है कि ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री नहीं होते, सिर्फ उनसे होने वाला धुआं और नुकसान थोड़ा कम होता है.
इसलिए जरूरी है कि हम सभी आतिशबाजी करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, ताकि दिवाली का त्यौहार सबके लिए सुरक्षित और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक बन सके. चलिए जानते हैं क्या ग्रीन पटाखे पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री नहीं होते हैं और आतिशबाजी से पहले किन बातों का ध्यान रखें.
क्या हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे वो पटाखे होते हैं जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं. इन्हें CSIR-NEERI ने 2018 में बनाया था. इन पटाखों में हानिकारक केमिकल की मात्रा काफी कम होती है या उनकी जगह ऐसे पदार्थों का यूज किया जाता है, जो जलने पर कम धुआं और कम शोर पैदा करते हैं. इनमें बेरियम नाइट्रेट, सल्फर, और पोटैशियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक केमिकल या तो नहीं होते या बहुत कम होते हैं. इनकी जगह जिओलाइट और आयरन ऑक्साइड जैसे केमिकल का यूज होता है जो हवा में हानिकारक तत्वों को कम करते हैं. इन पटाखों में जलने पर पानी की भाप या हवा जैसी गैसें निकलती हैं जो हवा में मौजूद धूल को कम कर सकती हैं. इनसे निकलने वाला शोर भी सीमित होता है, लगभग 110 से 125 डेसिबल, जबकि पारंपरिक पटाखे 160 डेसिबल तक का शोर कर सकते हैं.
क्या ग्रीन पटाखे पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री नहीं होते हैं?
ग्रीन पटाखे पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री नहीं होते हैं, ये सिर्फ पारंपरिक पटाखों से 30 से 40 प्रतिशत कम प्रदूषण करते हैं. यानी इनमें से भी धुआं, हानिकारक गैसें और छोटे-छोटे कण निकलते हैं. जब बहुत सारे लोग थोड़े समय में ये पटाखे जलाते हैं तब ये थोड़े से प्रदूषण भी मिलकर बड़ी समस्या बन सकते हैं. खासकर दिल्ली जैसे शहरों में जहाँ हवा पहले से ही खराब रहती है. CPCB के एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि जो भी चीज धुआं करती है, वो इको-फ्रेंडली नहीं हो सकती, भले ही थोड़ा कम नुकसान पहुंचाए.
आतिशबाजी करने से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
1. सिर्फ असली ग्रीन पटाखे ही खरीदें – अगर आप इस बार ग्रीन पटाखे जलाने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें. जैसे सिर्फ असली ग्रीन पटाखे ही खरीदें, ग्रीन पटाखों पर QR कोड होना जरूरी है, जिसे स्कैन कर के यह देखा जा सकता है कि पटाखा असली है या नकली है. नकली ग्रीन पटाखे भी बिक सकते हैं, जिनमें ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले केमिकल हो सकते हैं.
2. पटाखे जलाने का समय सीमित है – सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखे फोड़ने का समय तय किया है. ये समय सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक है. इस नियम का पालन करें ताकि एक ही समय में ज्यादा लोग आतिशबाजी न करें और प्रदूषण का स्तर ना बढ़े.
3. बीमार, बुजुर्ग और बच्चों का ख्याल रखें – दिवाली के समय धुएं से अस्थमा, एलर्जी, और सांस की तकलीफ वाले लोगों को ज्यादा दिक्कत हो सकती है. कोशिश करें कि ऐसे लोग घर के अंदर ही रहें, एयर प्यूरीफायर का यूद करें या N95 मास्क पहनें.
4. कम मात्रा में और खुले स्थान पर ही पटाखे जलाएं – बहुत ज्यादा पटाखे जलाने से बचें. बंद जगह या भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखे जलाने से नुकसान ज्यादा होता है. खुले मैदान, पार्क या सोसाइटी के खुले क्षेत्र में दूरी बनाकर ही पटाखे जलाएं.
यह भी पढ़ें Diwali 2025: कब बनी थी पहली बार रंगोली, जानें क्या है वेदों से इसका कनेक्शन
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Calculate The Age Through Age Calculator