Diwali 2025: लक्ष्मी पूजन में इन सामग्रियों को करें शामिल, माता होंगी प्रसन्न, मिलेगा आशीर्वाद

Diwali 2025: लक्ष्मी पूजन में इन सामग्रियों को करें शामिल, माता होंगी प्रसन्न, मिलेगा आशीर्वाद


मान्यता है कि माता लक्ष्मी के पूजन के समय 16 सामग्रियों का विशेष महत्व है. वह 16 सामग्रियां हमें 16 संदेश देती है. जो केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि इनका प्राकृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं.

मान्यता है कि माता लक्ष्मी के पूजन के समय 16 सामग्रियों का विशेष महत्व है. वह 16 सामग्रियां हमें 16 संदेश देती है. जो केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि इनका प्राकृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं.

पूजन के गंगाजल से पूजा वाले स्थान को पवित्र करते है. फिर आसन या आसनी बिछा कर उस स्थान को विशेष तौर पर पूजा के लिए तैयार किया जाता है. फिर भक्त आसन पर बैठकर पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं.

पूजन के गंगाजल से पूजा वाले स्थान को पवित्र करते है. फिर आसन या आसनी बिछा कर उस स्थान को विशेष तौर पर पूजा के लिए तैयार किया जाता है. फिर भक्त आसन पर बैठकर पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं.

भारतीय हिंदू परंपरा में पूजा के समय अक्षत, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर और दीपक का विशेष महत्व है. माना जाता है कि दीपक से जीवन आलोकित होता है. वही सिंदूर दांपत्य जीवन का प्रतीक होता है. यह स्त्री की शक्ति और समर्पण का भी आध्यात्मिक प्रतीक है.

भारतीय हिंदू परंपरा में पूजा के समय अक्षत, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर और दीपक का विशेष महत्व है. माना जाता है कि दीपक से जीवन आलोकित होता है. वही सिंदूर दांपत्य जीवन का प्रतीक होता है. यह स्त्री की शक्ति और समर्पण का भी आध्यात्मिक प्रतीक है.

वैसे ही माता लक्ष्मी की पूजा के समय धूप, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प और पान सुपारी का भी विशेष महत्व है. धूप सुगंधित होकर पूरे वातावरण को शुद्ध करता है. वही भक्ति के प्रतीक के रूप में पुष्प देवी के आराधना के लिए समर्पित किया जाता है. वहीं पान और सुपारी सम्मान और पूर्णता का प्रतीक होता है.

वैसे ही माता लक्ष्मी की पूजा के समय धूप, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प और पान सुपारी का भी विशेष महत्व है. धूप सुगंधित होकर पूरे वातावरण को शुद्ध करता है. वही भक्ति के प्रतीक के रूप में पुष्प देवी के आराधना के लिए समर्पित किया जाता है. वहीं पान और सुपारी सम्मान और पूर्णता का प्रतीक होता है.

पूजा के समय फल और मिठाई भी माता को समर्पित किया जाता है. फल कृतज्ञता और श्रम का प्रतिफल माना जाता है. वहीं मिठाई प्रसन्नता का प्रतीक है. इन्हें चढ़ाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

पूजा के समय फल और मिठाई भी माता को समर्पित किया जाता है. फल कृतज्ञता और श्रम का प्रतिफल माना जाता है. वहीं मिठाई प्रसन्नता का प्रतीक है. इन्हें चढ़ाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

हिंदू धर्म के पूजन में गेहूं, चावल,  चांदी, सोने, कलश, नारियल, मौली का भी विशेष महत्व है. माता लक्ष्मी के पूजन के समय चांदी का सिक्का या सोने का सिक्का समर्पित करने की मान्यता है. माना जाता है कि इस से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. और गेहूं और चावल अन्नपूर्णा का प्रतीक है। वहीं मौली जीवन को एक सूत्र में बांधता है. इस से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वही शंख ध्वनि के लिए शुभ होता है. मान्यता है कि इससे नकारात्मकता दूर होती है.

हिंदू धर्म के पूजन में गेहूं, चावल, चांदी, सोने, कलश, नारियल, मौली का भी विशेष महत्व है. माता लक्ष्मी के पूजन के समय चांदी का सिक्का या सोने का सिक्का समर्पित करने की मान्यता है. माना जाता है कि इस से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. और गेहूं और चावल अन्नपूर्णा का प्रतीक है। वहीं मौली जीवन को एक सूत्र में बांधता है. इस से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वही शंख ध्वनि के लिए शुभ होता है. मान्यता है कि इससे नकारात्मकता दूर होती है.

Published at : 20 Oct 2025 07:00 AM (IST)



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