Bhai Dooj Yamuna Snan: यमलोक के भय से मुक्ति पाना है तो भाई दूज पर भाई-बहन करें इस घाट पर पवित्र स्नान

Bhai Dooj Yamuna Snan: यमलोक के भय से मुक्ति पाना है तो भाई दूज पर भाई-बहन करें इस घाट पर पवित्र स्नान



Bhai Dooj Yamuna Vishram Ghat Snan: दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाता है. यह दिन भाई-बहन के स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक है. इस पर्व का प्रमुख केंद्र यमुना नदी, विशेषकर मथुरा का विश्राम घाट माना गया है. धर्मग्रंथों में लिखा गया है कि भाई दूज के दिन यमुना में स्नान और बहन द्वारा भाई को तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भाई-बहन इस दिन यमुना में साथ स्नान करते हैं, उन्हें दीर्घायु, सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है.

शास्त्रों के अनुसार, यमुना स्नान करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और भाई-बहन के संबंधों में स्थायी प्रेम और सौहार्द बना रहता है. यह परंपरा केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि कर्म शुद्धि और आत्मिक जागरण का प्रतीक मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन यमराज का भय भी समाप्त हो जाता है और जीवन में सकारात्मकता आती है.

पौराणिक कथा
धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण में इस पर्व की कथा का उल्लेख मिलता है. सूर्यदेव की संतान यमराज और यमुना देवी भाई-बहन थे. यमुना बार-बार अपने भाई को घर आने के लिए आमंत्रित करती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे. एक दिन, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन के घर पहुंचे. यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, स्नान कराया, तिलक लगाया और भोजन कराया. यमराज प्रसन्न होकर बोले, “जो भी भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान करेगा और बहन से तिलक कराएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा.” तभी से यह परंपरा स्थापित हुई.

विश्राम घाट का महत्व
मथुरा का विश्राम घाट इस पर्व से जुड़ा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. मान्यता है कि यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के बाद विश्राम किया था, इसलिए इसका नाम विश्राम घाट पड़ा. यह घाट यमुना तट का सबसे श्रेष्ठ और सिद्ध स्थल माना गया है. भाई दूज के दिन यहां हजारों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं, क्योंकि यही वह स्थान है जहां यमराज और यमुना के मिलन की स्मृति आज भी जीवित है.

पुराणों में कहा गया है, “यमुना स्नानं तु द्वितीयायां कृतं येन तेन मुक्तिः सर्वपापेभ्यः.”
अर्थात, कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना स्नान करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है.

वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अर्थ
हिंदू धर्म में हर परंपरा के पीछे गहरा वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संदेश छिपा है. कार्तिक माह में जब सर्दी शुरू होती है, तब यमुना जैसे शुद्ध जल में स्नान करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही, भाई-बहन का साथ स्नान करना एकता, पवित्रता और प्रेम का प्रतीक है. यह पर्व हमें यह सिखाता है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति, परिवार और संबंधों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का मार्ग भी है.

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