आज के जेन जी और मिलेनियल्स के लिए महंगे ब्रांड और लग्जरी आइटम अब दूर की चीज नहीं रह गई है. पहले जहां डिजाइनर हैंडबैग या ब्रांडेड जूते केवल विशेष अवसरों पर ही खरीदे जाते थे.वहीं अब युवा वर्ग इन्हें ईएमआई में खरीद कर तुरंत अपना बना रहा है. सोशल मीडिया पर ग्लैमरस लाइफस्टाइल दिखाने और दूसरों से कंपेयर के दबाव ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ा दिया है. महीने की छोटी-छोटी किस्तों में महंगे सामान की खरीदारी संतुष्टि देती है लेकिन इसके पीछे फाइनेंशियल खतरा भी छिपा होता है. एक्सपर्ट्स इसे लेकर कहते हैं कि अनियंत्रित ईएमआई बचत और वित्तीय सुरक्षा पर असर डाल सकते हैं.
लक्जरी खरीदारी और क्रेडिट कल्चर
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आजकल ईएमआई से महंगे सामान की खरीददारी आसान हो गई है. हालांकि यह उस समय तो खुशी देती है लेकिन लंबे समय में यह वित्तीय दबाव भी डाल सकती है. क्रेडिट के बढ़ती प्रवृत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर अनियंत्रित खरीदारी खतरनाक साबित हो सकती है.
सोशल मीडिया और दबाव
जेन जी और मिलेनियल्स पर सोशल मीडिया का बड़ा प्रभाव है. शानदार लाइफस्टाइल के लगातार वीडियो और दूसरों से कंपेयर का दबाव युवा वर्ग को ईएमआई पर लग्जरी खरीदने के लिए प्रेरित करता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आज की पीढ़ी लिव इन द नाउ की मानसिकता के साथ महंगे सामान का अनुभव तुरंत करना चाहती है.
लक्जरी का सही मतलब बचत या स्टेटस
पहले लक्जरी का मतलब बचत होता था लेकिन अब यह एक्सपीरियंस, स्टेटस और शेयर करने की चीज बन गई है. हाई क्लास के डाइनिंग क्लब या प्रीमियर इवेंट्स इस बदलाव के उदाहरण है. जहां लोग महंगे अनुभव के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं. वही इएमआई की सुविधा दूर से आकर्षक तो लगती है लेकिन कई किश्तों का बोझ वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है. लगातार खर्च करने से बचत की आदत कमजोर पड़ती है और कर्ज चुकाने में देरी या चूक होने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा ज्यादा खर्च की आदत मेंटल स्ट्रेस और आत्मसम्मान में भी कमी ला सकती है.
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