नीतीश कुमार को निश्चित तौर पर बड़ी उम्मीद रही होगी, और ये भी सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निराश भी नहीं किया है. उम्मीद से ज्यादा तो नहीं, लेकिन उम्मीद से नाउम्मीद भी नहीं होने दिया है. नीतीश कुमार को सीधे सीधे सीएम फेस न बताकर भी मोदी ने धीरे धीरे सब कुछ बता दिया है – ‘जो ना समझें वो…’
बिहार चुनाव की घोषणा के बाद, समस्तीपुर की रैली से पहले मोदी ने भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के गांव जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. जाहिर है, ये सारी चीजें लोगों को राजनीतिक संदेश देने के मकसद से ही पूर्व निर्धारित थीं, और इसके साथ ही एनडीए के चुनाव कैंपेन का आगाज भी हो गया.
महागठबंधन की तरफ से एनडीए को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की दी जा रही चुनौती के बीच हर कोई यही जानना चाहता था कि मोदी इस मुद्दे पर कहते क्या हैं? और, मोदी ने कहा भी ऐसा जो सभी के लिए खुशनुमा हो. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘सभी साथियों के साथ मिलकर वो सुशासन को समृद्धि में बदल रहे हैं… आज बिहार के हर कोने में विकास का काम हो रहा है.’
जीएसटी से लेकर बिहार में दी जा रही सरकारी सुविधाओं का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जंगलराज वालों को दूर रखने के लिए ‘सुशासन सरकार’ की स्थापना जरूरी है. और वादा किया, आप जैसा समृद्ध बिहार चाहते हैं, एनडीए भी वैसा ही बनाना चाहता है… सुनहरा भविष्य हमारा सपना है. आरजेडी, कांग्रेस से आप उम्मीद नहीं कर सकते.
बिहार में फिर ‘सुशासन सरकार’ !
समस्तीपुर की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ‘सुशासन सरकार’ और ‘नीतीश कुमार की सरकार’ जैसे नाम लेते हैं. और बक्सर की रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी ‘नीतीश कुमार की सरकार’ जैसे रूपक का इस्तेमाल करते हैं – अब तो नीतीश कुमार और उनके समर्थकों को अपनी उम्मीदें बनाए रखना चाहिए.
नीतीश कुमार को बिहार में उनके समर्थकों ने ‘सुशासन बाबू’ का तमगा दे रखा है, और अगर यही बात मोदी के मुंह से सुनने को मिले तो क्या समझ में आएगा. यही न कि नीतीश कुमार ही एनडीए के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं. हां, इस अघोषित ऐलान में इस बात का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि नीतीश कुमार के विरोधियों, जो सत्ता विरोधी लहर का हिस्सा हो सकते हैं, को भी ये न लगे कि नीतीश कुमार ही फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. बल्कि, वो मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट दें, और बात में विधायक दल के माध्यम से उसे मुख्यमंत्री बनाया जाए, जो मोदी-शाह को पसंद हो.
बिहार की रैली में मोदी ने कहा, ‘यह साल 2005 का अक्टूबर महीना ही था… जब बिहार ने जंगलराज से मुक्ति पाई थी… नीतीश कुमार के नेतृत्व में सुशासन शुरू हुआ था… सुशील मोदी, राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान सबके साथ मिलकर नीतीश जी काम कर रहे हैं… बिहार को मुश्किल से निकाला. अब बिहार नए दौर में है… कोई कोना नहीं, जहां विकास का काम नहीं हो रहा… कहीं भी जाएं, हर जगह विकास का काम हो रहा है. बिजली, पानी गैस सब पर काम हो रहा… ये समृद्धि का काम है.
मोदी से ठीक पहले नीतीश कुमार ने भी ऐसी ही बातें की थीं, और भाव यही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सारा काम करा रहे हैं. कुछ कुछ ऐसे जैसे कह रहे हों, ‘तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा!’
बिहार के लोगों से मोदी ने कहा, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, एमपी, यूपी और उत्तराखंड में फिर से बहुमत मिला… गुजरात के सारे रिकार्ड टूट गए… ये उदाहरण बताते हैं कि एनडीए मतलब विकास की गारंटी… आपका उत्साह देखकर लग रहा कि बिहार में नीतीश बाबू के नेतृत्व एनडीए जीत के सारे रिकार्ड तोड़ देगा.
अब अगर एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में जीत के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा, तो मुख्यमंत्री कोई और बनेगा क्या? नीतीश कुमार कोई शिवराज सिंह चौहान तो हैं नहीं, जो खामोशी अख्तियार कर लेंगे? लालू यादव तो उनके लिए हमेशा के लिए दरवाजा खुला रखा है.
मोदी के बयान में ‘हां’ भी है, और ‘नहीं’ भी
बिहार में एनडीए के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना जोर देकर ‘हां’ कहा है, उतनी ही जोर से ‘नहीं’ भी बोल दिया है. हर कोई अपने अपने हिसाब से अर्थ निकाल सकता है. मोदी ने एनडीए के सरकार बनने की बात कही है. और, नीतीश कुमार के साथ साथ चिराग पासवान और जीतन राम मांझी का भी नाम लिया है.
चिराग पासवान खुद को ‘मोदी का हनुमान’ बताते हैं, और जीतन राम मांझी अपने को ‘मोदी का चेला’ बता चुके हैं – कहने को तो नीतीश कुमार ने भी मोदी की तारीफ में कम कसीदे नहीं पढ़े हैं, लेकिन मोदी का नाम लेकर चिराग पासवान या जीतन राम मांझी जैसा तो नहीं ही बताया है.
देखा जाए तो, मोदी ने न तो अमित शाह की तरह गफलत में डालने की कोशिश की है कि ‘फैसला संसदीय बोर्ड करेगा,’न ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तरह कहा कि ‘जब सारे नेता बैठेंगे तो अपना नेता चुनेंगे’.
हाल ही में, नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर पूछे जाने पर अमित शाह ने कहा था, मैं कौन होता हूं किसी को मुख्यमंत्री बनाने वाला? बहुत सारे दल हैं. चुनाव के बाद जब हम सभी एक साथ बैठेंगे तो पार्टियों के नेता अपना नेता तय करेंगे.
और, ऐसा ही सवाल जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पूछा गया, बिहार में आपको क्या लगता है कि वापस नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन पाएंगे?
नितिन गडकरी का जवाब था, एनडीए की सरकार निश्चित रूप से बिहार की सत्ता में फिर से आएगी… चुनाव जीत कर आए हुए विधायक, एनडीए में शामिल जेडीयू और बीजेपी के आलाकमान को लेकर फैसला करेंगे.
करीब तीन महीने पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बिहार दौरे पर थे, तब नीतीश कुमार की मोदी जैसी ही तारीफ की थी. राजनाथ सिंह का कहना था, ‘बिहार दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है… और यही नेतृत्व 2025 के चुनाव में एनडीए का चेहरा होगा… नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का विकास होगा… एनडीए ही बिहार का विकास कर सकता है… उनके हाथों में बिहार का भविष्य सुरक्षित है.’
कुल मिलाकर देखें तो मोदी ने एक ही झटके में सबको मैसेज दे दिया है. जो नीतीश कुमार को आगे भी मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, और जो ऐसा फूटी आंख भी नहीं देखना चाहते.
कई बार राजनीतिक बयान भी ज्योतिषियों की भविष्यवाणी जैसे ही लगते हैं. किसी बात को ऐसे बताया जाता है जैसे नतीजा जो भी हो, ये दावा हर हाल में किया जा सके कि ‘ऐसा ही तो बोला था’. मोदी ने भी बिल्कुल यही किया है. अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं, तो मोदी डंके की चोट पर बोलेंगे कि मैंने तो ऐसा ही कहा था. और, अगर नहीं बन पाते, तो भी जवाब वही होगा, मैंने ऐसा कब कहा था?
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