Panchmukhi Hanumat Kavacham: पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ मंगलवार, शनिवार, अमावस्या, चतुर्दशी और ग्रहण काल में करना सबसे शुभ है. यह कवच शत्रु नाश, भय मुक्ति, तांत्रिक बाधा निवारण और ग्रह दोष शांत करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है.
हनुमान जी को संकटमोचक कहा गया है. लेकिन जब उनका पंचमुखी स्वरूप प्रकट होता है, तब वे स्वयं ब्रह्मांड के रक्षक बन जाते हैं. पंचमुखी हनुमान का कवच मंत्र इतना प्रभावशाली है कि यह शत्रु नाश, तांत्रिक बाधाओं, ग्रह पीड़ा और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है. शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त निष्ठा से पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करता है, उसके जीवन से सभी भय और संकट दूर हो जाते हैं.
पंचमुखी हनुमान कवच को लेकर शास्त्र क्या कहता है?
पंचमुखी हनुमान कवच का उल्लेख नृसिंह पुराण और कई तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है. कहा जाता है कि यह कवच भगवान राम की आज्ञा से रावण के वध के समय प्रकट हुआ था.
इस श्लोक को देखें- पञ्चवक्त्रं महावीर्यं सर्वशत्रु विनाशनम्. सर्व रोगप्रशमनं सर्व सौख्य प्रदायकम्॥ अर्थात पंचमुखी हनुमान का ध्यान करने से सभी शत्रु नष्ट होते हैं, रोग मिटते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
पंचमुखी हनुमान कवच मंत्र
श्रीगणेशाय नमः। श्रीरामदूताय नमः।।
ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचस्य।
ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः।
पञ्चमुखी श्रीहनुमान देवता।
हं बीजं। हं शक्तिः। हुं कीलकम्।
मम शत्रु संहारार्थे विनियोगः।।
पूर्वतस्तु कपिः पातु, दक्षिणे पातु लक्ष्मणः।
पश्चिमे पातु गरुत्मा, उत्तरस्येन्द्रवरदः।
ऊर्ध्वे हयग्रीवो मां पातु, अधो मे पातु भैरवः।।
रामदूतः पातु मां सर्वतोऽसि हरिः सदा।
सर्वे किल्बिषसंहारं कुरु मे कपिनायक।।
पादौ पातु पवनपुत्रः, जानुनी पातु भीषणः।
ऊरू पातु महावीर्यः, कटी पातु महाबलः।।
नाभिं पातु सुग्रीवो, हृदयं पातु रामभृत्।
स्तनौ पातु महाशक्तिः, बाहू पातु महाद्युतिः।।
कण्ठं पातु महावीर्यः, मुखं पातु महाबलः।
जिह्वां पातु रामदूतः, दंष्ट्रां पातु महाबलः।।
नेत्रे पातु महाप्रज्ञः, श्रोत्रे पातु महाबलः।
नासिकां पातु सुग्रीवः, कर्णौ पातु विभीषणः।।
शीर्षं पातु रामदासः, सर्वाङ्गं रघुनायकः।
सर्वदुष्टप्रशमनं सर्वसौख्यप्रदायकम्।।
एतत्कवचं पवित्रं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
सर्वशत्रुविनाशं च धान्य-धान्य-समृद्धिदम्।।
राजद्वारे, रणमध्ये, श्मशाने पर्वतोपरे।
भीत: पश्यति यं यं तं तं रूपं धरते कपिः।।
यः पठेत्प्रयतो नित्यं त्रिसंध्यं श्रद्धयान्वितः।
सप्तजन्मार्जितं पापं तत्क्षणात् विनिवार्यते।।
इति श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचं सम्पूर्णम्।।
मंत्र का अर्थ
- पूर्वे कपिमुखं पातु – पूर्व दिशा में हनुमान जी का वानर मुख रक्षण करे.
- दक्षिणे मे महाबलः – दक्षिण दिशा में नरसिंह रूप शत्रु विनाश करें.
- पश्चिमे पातु गरुत्मान् – पश्चिम में गरुड़ मुख सर्प व विष से रक्षा करें.
- उत्तरे वराहो हरिः – उत्तर दिशा में वराह मुख परिवार व भूमि की रक्षा करे.
- ऊर्ध्वं हयग्रीवो मां पातु – ऊर्ध्व दिशा में हयग्रीव मुख विद्या व ज्ञान दे.
कवच पाठ का श्रेष्ठ समय
- मंगलवार और शनिवार – शत्रु व बाधा निवारण के लिए
- अमावस्या और चतुर्दशी – तांत्रिक दोष, नजर बाधा और भय मुक्ति के लिए
- ग्रहण काल – कालसर्प दोष और पितृदोष निवारण के लिए
- सुबह सूर्योदय के समय – स्वास्थ्य व सफलता के लिए
कवच जप की विधि
स्नान कर लाल या गेरुए वस्त्र धारण करें. पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाएं. दीपक, धूप और चमेली के तेल से पूजा करें. लाल चंदन, सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें. 108 बार कवच मंत्र का जप करें (रुद्राक्ष माला से). अंत में गुड़ और चने का भोग लगाकर प्रसाद बांटें.
पंचमुखी हनुमान कवच पाठ के लाभ
- शत्रु पर विजय – राजनीति, कोर्ट केस और व्यापारिक शत्रु नष्ट होते हैं.
- भूत-प्रेत और तांत्रिक बाधा से रक्षा – रात के भय और बुरे सपने समाप्त होते हैं.
- धन-समृद्धि – आर्थिक संकट से मुक्ति और स्थायी सुख की प्राप्ति.
- स्वास्थ्य लाभ – रोगों में सुधार और मानसिक शांति.
- ग्रह दोष निवारण – शनि, राहु, केतु और मंगल के दुष्प्रभाव कम होते हैं.
- विद्या और करियर में सफलता – विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोग प्रगति करते हैं.
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पंचमुखी हनुमान कवच एक आध्यात्मिक कवच बन जाता है. विद्यार्थियों को परीक्षा के भय से मुक्ति मिलती है. व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है. परिवार को नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से बचाव होता है. कॉर्पोरेट जगत में कार्यस्थल पर शत्रु बाधा कम होती है.
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