अक्सर कई लोग मानते हैं कि कैंसर का खतरा सिर्फ स्मोकिंग, शराब और गलत लाइफस्टाइल से बढ़ता है. लेकिन इसके अलावा कई ऐसे साइलेंट फैक्टर भी होते हैं जो धीरे-धीरे कैंसर की संभावनाओं को बढ़ाते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि स्मोकिंग और खराब लाइफस्टाइल जैसे फैक्टर तो सब जानते हैं लेकिन कुछ ऐसे कम पहचान पहचाने जाने वाले फैक्टर हैं जो लंबे समय में शरीर में कैंसर के लिए एनवायरमेंट तैयार कर सकते हैं. जबकि इन्हें लेकर कोई स्पष्ट लक्षण भी नहीं नजर आते हैं. ऐसे चलिए आज हम आपको बताएंगे कि रोजमर्रा के वह कौन से साइलेंट रिस्क फैक्टर हैं जो कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं.
1. क्रॉनिक लो-ग्रैंड इफ्लेमेशन
शरीर में मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, पेरियोडोंटल रोग और लंबे समय तक चलने वाले इन्फेक्शन शरीर में प्रोट्यूमर एनवायरमेंट बनाते हैं. वहीं यह धीरे-धीरे कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा कर कैंसर का कारण बन सकते हैं.
2. हार्मोन में गड़बड़ी करने वाले केमिकल्स
प्लास्टिक, कीटनाशक और कॉस्मेटिक में पाए जाने वाले यह केमिकल्स हमारे शरीर के हार्मोन को प्रभावित करते हैं. जिनकी वजह से ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
3. नींद की कमी और शिफ्ट वर्क
शिफ्ट वर्क नींद की कमी और लगातार लाइट एक्सपोजर से शरीर की सर्केडियन क्लॉक प्रभावित होती है. इससे डीएनए रिपेयर और सेल साइकिल पर असर पड़ता है. जिसके कारण ब्रेस्ट कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
4. गट माइक्रोबायोम का असंतुलन
आंत में बैक्टीरिया का असंतुलन जैसे Fusobacterium nucleatum का बढ़ना, कोलोरेक्टल लीवर और पैंक्रियाज कैंसर के लिए एनवायरमेंट तैयार करता है.
5. वायु प्रदूषण और पीएम 2.5
हवा में घुले फाइन पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में जाकर डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं लंबे समय तक ऐसे एक्सपोजर में रहने से नॉन स्मोकर्स में भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.
6. वायरल इन्फेक्शन
एचपीवी, एचबीवी और ईबीवी जैसे वायरल इंफेक्शन कोशिकाओं के डीएनए में जाती है और ट्यूमर सप्रेसर प्रोटीन को निष्क्रिय कर देती है. यह कई सालों तक बिना लक्षण के रह सकती है, लेकिन बाद में सर्वाइकल लिवर या नेसॉफैरिंजियल कैंसर का कारण बन सकती है.
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