Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की अवधि को बहुत ही खास माना जाता है. मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरतीलोक पर आते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं, जिससे कि हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिले और उनका आशीर्वाद हम पर बना रहे.
बता दें कि इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और 21 सितंबर को पितृ पक्ष का समापन भी हो जाएगा. पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलते है. पितृ पक्ष के पखवाड़े में श्राद्ध और पिंडदान करते समय कई नियमों का पालन किया जाता है. इन्हीं में एक है सफेद वस्त्र पहनना. आपने देखा होगा कि श्राद्ध या पिंडदान आदि करते समय लोग सफेद रंग के कपड़े ही पहनते हैं.
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास से जानते हैं आखिर श्राद्ध या पिंडदान के समय सफेद रंग के वस्त्र पहनने के पीछे क्या मान्यता है.
शुद्धता, पवित्रता और शांति का प्रतीक
सफेद रंग को शुद्धता, पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है. पितृ पक्ष ऐसी अवधि होती है, जब हम अपने पितरों को याद कर उन्हें श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इसलिए इस समय सफेद रंग के कपड़े पहनने की मान्यता है, जिससे कि हमारी भावनाएं भी शुद्ध और पवित्र रहे.
श्राद्ध के दौरान खुशियां या शोरगुल का माहौल नहीं रहना चाहिए. क्योंकि पितृ पक्ष शोक का समय होता है. वातावरण को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए भी इस समय सफेद रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है. इस समय अधिक चटक या रंग-बिरंगे कपड़े पहनना उचित नहीं माना जाता है.
श्राद्ध के समय सफेद रंग धारण करना इस बात का भी संदेश देता है कि, मनुष्य को मोह-माया के ऊपर उठकर पितरों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित होना चाहिए.
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