हर साल 4 सितंबर को वर्ल्ड सेक्सुअल हेल्थ डे मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों में यौन स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाना और इससे जुड़े सोशल जजमेंट को बदलना है. बदलते दौर में खासकर नई जनरेशन में सेक्स और रिश्तों को लेकर बातचीत का तरीका पूरी तरह बदल दिया है. जहां पहले लोग डॉक्टर या परिवार के बड़े बुजुर्गों से सलाह लेते थे, वहीं अभी युवा पीढ़ी इसके लिए डेटिंग एप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रही है.
क्यों चुन रहे हैं Gen Z डेटिंग ऐप्स
आसान और किफायती
डॉक्टर से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट, ट्रैवल और कई बार काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है, जबकि डेटिंग एप्स 24*7 सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध होता है. यही वजह है कि युवाओं को यह ज्यादा सुविधाजनक लगते हैं.
प्राइवेसी की गारंटी
हमारे समाज में आज भी यौन स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना कई बार झिझक भरा होता है. वहीं डेटिंग एप्स पर लोग अपनी पहचान बताएं बिना सवाल पूछ सकते हैं. इससे उन्हें जज किए जाने का डर नहीं होता है. यह भी एक बड़ा कारण है कि Gen Z सेक्सुअल हेल्थ को लेकर डॉक्टर की बजाय डेटिंग ऐप्स का रूख कर रहे हैं.
सोशल जजमेंट से राहत
भारत जैसे देश में सेक्स पर खुलकर बात करना अब भी जजमेंट के नजरिए से देखा जाता है. कई बार डॉक्टर भी अनजाने में इसे लेकर अपनी व्यक्तिगत राय बता देते हैं. वहीं डेटिंग एप्स पर इंटिमेसी और रिलेशनशिप की बातें सामान्य मानी जाती है.
पीयर-टू-पीयर कनेक्शन
जेन जी को अपने जैसे लोगों से मिली सलाह ज्यादा रिलेटेबल लगती है. वहीं डेटिंग ऐप्स पर बने कम्युनिटी स्पेस में युवा एक दूसरे के अनुभव शेयर करते हैं जो उन्हें प्रोफेशनल गाइडेंस से ज्यादा सहज लगता है.
बदलती सोच का संकेत
कई युवा गर्भनिरोधक, कैजुअल सेक्स या एलजीबीटीक्यू प्लस से जुड़े सवालों पर डॉक्टर से खुलकर नहीं पूछ पाते हैं. कई डेटिंग ऐप्स पर इन मुद्दों पर बातचीत सहज और ज्यादा एक्सेप्टेबल एनवायरमेंट में होती है. जिसकी वजह से Gen Z सेक्सुअल हेल्थ को लेकर डॉक्टरों की जगह डेटिंग ऐप्स से एडवाइज ले रहे हैं.
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