Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या पर 5 जगह जलाएं दीपक, मां लक्ष्मी दौड़ी चलीं आएंगी

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या पर 5 जगह जलाएं दीपक, मां लक्ष्मी दौड़ी चलीं आएंगी


Sarva Pitru Amavasya 2025: पितृ पक्ष का आखिरी दिन 21 सितंबर 2025 को है, इस दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी. श्राद्ध के लिए ये दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इस दिन सभी तरह के ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण कर सकते हैं.

अमावस्या के दिन पितरों और देवों दोनों की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा पाठ के अलावा कुछ खास जगहों पर दीपक जरुर जलाना चाहिए. कहते हैं इससे न सिर्फ घर में लक्ष्मी जी वास करती हैं बल्कि पितर भी जाते जाते खुशहाली और तरक्की का आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में जानें सर्व पितृ अमावस्या पर किन-किन जगहों पर दीपक जलाएं.

पितरों के लिए कहां-कहां जलाएं दीपक

पूर्वज लौटेंगे लोक – सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों का धूप-ध्यान करने के बाद शाम को किसी तालाब या सरोवर किनारे दक्षिण दिशा में मुख करके सरसों के तेल का चौमुखी दीपक प्रज्वलित कर जल में छोड़े. मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद पितर अपने लोक लौट जाते हैं, ऐसे में दीपक की रोशनी उनकी राह में उजाला करने में सहायक होती है. इससे वह प्रसन्न होते हैं.

नहीं आएगी सुख में कमी – किसी कारणवश पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं और ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि। तन्नो पितृ प्रचोदयात्॥  इस मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे पूर्वजों की आत्मा शांत होती है और सुख-समृद्धि में कमी नहीं आती.

लक्ष्मी जी के लिए कहां-कहां जलाएं दीपक

बढ़ेगी बरकत- सर्व पितृ अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास घी का दीपक लगाकर विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें. मान्यता है इससे धन आगमन बढ़ता है. आय में वृद्धि के योग बनते हैं.

लक्ष्मी जी करेंगी प्रवेश – वहीं इस दिन प्रदोष काल में मुख्य द्वार के बाहर घी का दीपक बाईं ओर और तेल का दीपक दाहिनी ओर जलाना शुभ माना जाता है. इससे सकारात्मकता आती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि व आर्थिक संपन्नता बनी रहती है.

शास्त्रों के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या पर घर के ईशान कोण में यानी कि अपने घर के उत्‍तर-पूर्व कोने में गाय के घी का दीपक जलाने से भी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है. अन्न के भंडार खाली नहीं होते.

दुविधा! इंदिरा एकादशी और श्राद्ध का संयोग, एक में खीर बिना पूजा अधूरी तो दूसरे में चावल है निषेध, क्या करें?

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

Leave a Reply