अब अरब का BUNA भी इस्तेमाल करेगा पाकिस्तान… डिफेंस के बाद फाइनेंस डील! – Pakistan new finance deal arab world buna digital payment system ntcppl

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सऊदी अरब के साथ मेगा डिफेंस डील के बाद पाकिस्तान अब अरब देशों का ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम BUNA का भी इस्तेमाल करेगा. BUNA अरब देशों का ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम है. अरब मॉनेटरी फंड के पास इसका मालिकाना हक है. 

इस सिस्टम से क्रॉस बॉर्डर लेनदेन भी संभव हो सकेगा. हालांकि केवल मुल्क से बाहर रहने वाले पाकिस्तानी ही इस प्लेटफॉर्म से पैसे भेज सकेंगे. इसके अलावा पाकिस्तान में रहने वाले नागरिक इस प्लेटफॉर्म से देश से बाहर पैसा नहीं भेज पाएंगे. 

बुना अरब का रिजनल पेमेंट सिस्टम है, जो अरब मुद्रा कोष (एएमएफ) के स्वामित्व वाला एक सीमा-पार, मल्टी करेंसी प्लेटफ़ॉर्म है जो वित्तीय संस्थानों को अरब क्षेत्र और उसके बाहर अरब और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान भेजने और प्राप्त करने की अनुमति देता है. अब सीमित रूप में पाकिस्तान भी इसका सदस्य बन गया है.

इस पेमेंट सिस्टम को 2020 में लॉन्च किया गया था. यह सऊदी रियाल और अमीराती दिरहम जैसी करेंसी में डील करता है और भविष्य में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और सीमा-पार व्यापार को बढ़ाने के लिए चीन जैसे अन्य देशों की मुद्राओं को भी इसमें शामिल करने की योजना है. 

BUNA अरब देशों और उनके सहयोगियों के बीच तेज, सुरक्षित और कम लागत वाले लेन-देन को बढ़ावा देता है. यह कदम पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और सऊदी अरब के साथ वित्तीय एकीकरण को गहरा करने की रणनीति का हिस्सा है. 

इस डील की जानकारी देते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमीन अहमद ने कहा कि नए सिस्टम से मनी ट्रांसफर तेज और अधिक सुरक्षित हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि 2028 तक पाकिस्तान के 75% युवाओं को डिजिटल वित्तीय सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य है, जबकि जून 2026 तक केंद्र और स्टेट लेवल पर कैशलेस अर्थव्यवस्था शुरू की जाएगी.

उन्होंने कहा कि एसबीपी पहले ही डिजिटल भुगतान के लिए पांच लाइसेंस जारी कर चुका है और डिजिटल लेनदेन पर 0.5% व्यापार शुल्क नहीं लगेगा. 

बता दें कि पाकिस्तान और सऊदी अरब ने 17 सितंबर 2025 को ही रियाद में एक ‘स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत किसी एक देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा. यह डील मध्य पूर्व में क्षेत्रीय तनाव, खासकर इजरायल के कतर पर हमले के बाद, सऊदी अरब की अमेरिका पर सुरक्षा निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है. पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार होना इस समझौते को रणनीतिक महत्व देते हैं. भारत ने इस डील के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभावों का अध्ययन करने की बात कही है.

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