Karnataka HC stays state government order movie ticket prices at Rs 200 for theatres | कर्नाटक में सस्ते टिकट योजना पर हाईकोर्ट का स्टे: मल्टीप्लेक्स मालिकों ने जताई थी आपत्ति, राज्य सरकार ने 200 रुपए तय किया था दाम

Karnataka HC stays state government order movie ticket prices at Rs 200 for theatres | कर्नाटक में सस्ते टिकट योजना पर हाईकोर्ट का स्टे: मल्टीप्लेक्स मालिकों ने जताई थी आपत्ति, राज्य सरकार ने 200 रुपए तय किया था दाम


5 मिनट पहले

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरकार के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें सभी सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमत 200 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती थी।

जानिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कर्नाटक सिनेमा (रेगुलेशन) (अमेंडमेंट) कानून बनाया था, जिसके तहत मल्टीप्लेक्स समेत राज्य के सभी सिनेमाघरों में सभी भाषाओं की फिल्मों के टिकट की अधिकतम कीमत टैक्स छोड़कर 200 रुपए तय की गई थी।

इस संशोधन में मौजूदा 2014 के नियमों से नियम 146 को हटाने का भी प्रस्ताव था। सरकार ने कहा कि यह कदम जनता के हित में है और मार्च के बजट घोषणा और सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें राज्य को टिकट कीमतों को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है।

लेकिन सरकार के इस फैसले को मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फिल्म प्रोड्यूसर्स और बड़े सिनेमाघरों के संचालक जैसे पीवीआर और आईनॉक्स के शेयरहोल्डर्स ने चुनौती देते हुए याचिका डाली दी थी, जिसमें कहा गया कि सभी थिएटर के लिए 200 रुपए टिकट की कीमत निर्धारित करना सही नहीं है, क्योंकि इनमें मल्टीप्लेक्स का खर्च सिंगल स्क्रीन थिएटर की तुलना में ज्यादा आता है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सिंगल स्क्रीन थिएटर और मल्टीप्लेक्स की टेक्नोलॉजी, इन्वेस्टमेंट, लोकेशन फॉर्मेट (IMAX, 4DX) ध्यान में रखे बगैर ऐसे नियम बनाना मनमाना तरीका लगता है।

याचिकाकर्ताओं को इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सिलेक्टिवली सिनेमा के लिए यह नियम बनाया गया है। उनका कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, सैटेलाइट टीवी और अन्य एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म इससे बाहर हैं। नियमों से मनमाने तरीके से छूट दी गई है। नियम में 75 सीट या उससे कम सीट वाले मल्टी स्क्रीन प्रीमियम सिनेमा को इससे छूट दी गई है, लेकिन प्रीमियम की परिभाषा नहीं बताई गई।

मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता उदया होला ने पक्ष रखा और कहा कि फिल्म टिकट की कीमतें थिएटर और ग्राहकों के बीच एक निजी समझौता है। जब तक कानून में साफ लिखा न हो, सरकार टिकट की कीमतें तय नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी पाबंदी कानून के आधार पर होनी चाहिए और उसके पीछे ठोस जानकारी होनी चाहिए, वरना यह व्यवसाय के अधिकार का उल्लंघन है।

सरकार की तरफ से अतिरिक्त अधिवक्ता जनरल इस्माइल जबियुल्ला ने कहा कि ये नियम जनता के हित के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने मार्च में बजट में की गई घोषणा और बाद में जारी मसौदा नियम का हवाला दिया, जिस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि राज्य के पास थिएटर और मनोरंजन को नियंत्रित करने का अधिकार संविधान में दिया गया है।

कर्नाटक फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स (KFCC) ने भी इस मामले में दखल देने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने कहा कि यह मामला जनहित याचिका नहीं है, इसलिए उन्हें साबित करना होगा कि उनका इसमें अधिकार है। बता दें, अदालत का यह अंतरिम आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक अगला फैसला नहीं आ जाता।

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