Shardiya Navratri 2025: उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर का रहस्य! राजा विक्रमादित्य की सिद्धि और 1100 दीपों का चमत्कार!

Shardiya Navratri 2025: उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर का रहस्य! राजा विक्रमादित्य की सिद्धि और 1100 दीपों का चमत्कार!



Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि पूरे देशभर में धूम-धाम से शुरू हो चुकी है. वहीं महाकाल की नगरी उज्जैन में भी यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. जहां हर जगह माता के आशीर्वाद के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जा रही है.

वहीं उज्जैन के प्रसिद्ध हरसिद्धि माता मंदिर में भी भक्तों की लंबी कतार लग चुकी है. हिंदू शास्त्र में इस मंदिर का विशेष महत्व है. मान्यता है कि माता सती के अंग जब विभिन्न स्थानों पर गिरे थे, तब उनकी दाहिनी कोहनी उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे गिरी थी.

हरसिद्धि मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए प्रसिद्ध

जिसके बाद से भगवान ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना की और तब से इस जगह को माता के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार माता के इसी मंदिर से राजा विक्रमादित्य सम्राट बने थे. इसी वजह से यह मंदिर तंत्र क्रिया और सिद्धि साधना का एक जरूरी केंद्र है.

मंदिर के लगभग 200 मीटर की दूरी पर ही भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग महाकाल रूप है. इस मंदिर में यंत्र प्रतिष्ठित है, जिसके कारण यह जगह तांत्रिक परंपरा में सिद्धपीठ के रूप में मानी जाती है.

विक्रमादित्य को यहीं से मिली थी यंत्र की सिद्धि

राजा विक्रमादित्य का रिश्ता हरसिद्धि मंदिर से जुड़ा हुआ है. स्कंद पुराण में लिखा हुआ है कि, देवी ने प्रचंड राक्षस नामक दैत्य का वध किया था, जिसके बाद से वह हरसिद्धि नाम से जानने लग गई. लोक मान्यताओं के अनुसार माता हरसिद्धि विक्रमादित्य की कुलदेवी थी.

माना जाता है कि विक्रमादित्य ने यहां देवी को प्रसन्न किया था और यहीं से उन्हें श्री यंत्र की सिद्धि मिली थी. जिसके बाद से वह न्यायप्रिय राजा कहलाए और पूरे देश पर राज किया.

एक साथ जलाए जाते है 1100 दिप

मंदिर परिसर में स्थित 51 फीट ऊँचा विशाल दीप स्तंभ श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है. इस स्तंभ पर एक साथ लगभग 1100 दीप प्रज्वलित किए जाते हैं. इसके लिए करीब 60 लीटर तेल और 4 किलो रुई की जरूरत होती है.

मान्यता है कि, भक्त जब अपनी मनोकामना पूर्ण होती देखना चाहते हैं, तो वे यहां दीपमाला जलवाते हैं. इस अनोखी परंपरा के कारण कई बार दीप जलाने के लिए लंबा इंतज़ार भी करना पड़ता है.

नौ दिन नहीं कि जाती शयन आरती

हरसिद्धि मंदिर में नवरात्र के नौ दिनों का अलग ही महत्व है. इस दौरान देवी को अनार के दाने, शहद और अदरक का विशेष भोग अर्पित किया जाता है. यह विश्वास है कि इन दिनों माता शयन नहीं करतीं, इसलिए इस अवधि में शयन आरती का आयोजन नहीं होता. आस्था और भक्ति से भरे इन नौ दिनों में मंदिर का वातावरण दिव्यता और ऊर्जा से भर उठता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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