इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को संयुक्त राज्य इंजीनियरिंग सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा-2024 का संशोधित परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है.साथ ही कहा है कि परिणाम के बाद ही मुख्य परीक्षा आयोजित की जाए. न्यायमूर्ति अजित कुमार की सिंगल बेंच ने रजत मौर्या व 41 अन्य की याचिकाओं पर ये निर्देश दिया है.
25 सितंबर 2025 को फैसला सुनाते हुए आयोग को परिणाम में ‘माइग्रेशन’ के सिद्धांत को अनिवार्य रूप से लागू करने का आदेश दिया है. इस फैसले के तहत, आरक्षित वर्ग के वे उम्मीदवार जिन्होंने योग्यता के आधार पर अनारक्षित वर्ग के कट-ऑफ अंक के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें अनारक्षित सूची में शामिल करना होगा.
याचिकाकर्ता का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में तर्क दिया था कि आयोग ने भर्ती विज्ञापन के अनुसार कुल रिक्तियों के मुकाबले 1:15 के अनुपात में यानी 9135 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए योग्य घोषित नहीं किया, बल्कि केवल 7358 को ही सफल घोषित किया. इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम श्रेणी वार तैयार किया गया और योग्य आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया गया, जो आरक्षण के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.
कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह प्रारंभिक परीक्षा के योग्य उम्मीदवारों की मेरिट सूची को दोबारा तैयार करें. कोर्ट ने साफ किया कि आरक्षण के सिद्धांत के अनुरूप, आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षित वर्ग के उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित श्रेणी की सूची में जगह मिले. आयोग को यह संशोधित प्रारंभिक परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद ही मुख्य परीक्षा आयोजित करने की अनुमति होगी.
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