Measles Outbreak Indonesia: इंडोनेशिया के मदुरा द्वीप पर खसरे की एक गंभीर महामारी फैल चुकी है. पिछले नौ महीनों में यहां 2,600 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए और 20 मासूमों की मौत हो चुकी है. बीमारी को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर जाकर टीकाकरण की पहल शुरू की है. मोटरसाइकिल पर मेडिकल बॉक्स लेकर निकलने वाले स्वास्थ्यकर्मी गांव-गांव जाकर बच्चों को खसरे का टीका लगाने में जुटे हैं. लेकिन इस जंग में सबसे बड़ी चुनौती चिकित्सा से नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक हिचकिचाहट से आ रही है. मुस्लिम बहुल आबादी के बीच यह संदेह गहराया हुआ है कि कहीं टीके में इस्तेमाल होने वाला जेलाटिन सूअर से तो नहीं बनाया गया.
स्वास्थ्य बनाम धार्मिक मान्यता
स्वास्थ्य एक्सपर्ट के अनुसार, खसरे का टीका बच्चों की जान बचाने का सबसे प्रभावी उपाय है. टीकाकरण के बिना संक्रमण तेजी से फैल सकता है और बड़ी संख्या में बच्चों की जान जा सकती है. लेकिन दूसरी ओर, कई अभिभावक इसे धार्मिक दृष्टि से हराम मानते हैं और बच्चों को टीका लगवाने से इंकार कर देते हैं. टीकों को सुरक्षित और लंबे समय तक असरदार बनाए रखने के लिए जेलाटिन का इस्तेमाल किया जाता है. यह जेलाटिन अधिकतर सूअर से प्राप्त होता है, जबकि इस्लाम में सूअर के मांस को हराम माना गया है. यही कारण है कि 2018 में इंडोनेशिया के धार्मिक नेताओं ने ऐसे टीकों को हराम करार दिया था. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक कोई विकल्प उपलब्ध न हो, समाज के हित में इन्हें उपयोग किया जा सकता है.
स्वास्थ्यकर्मियों की चुनौती
स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त से एक बड़ा अभियान शुरू किया है. लगभग 78,000 टीकों की व्यवस्था की गई है और उन्हें घर-घर, स्कूलों और क्लीनिकों तक पहुंचाया जा रहा है. फिर भी लोग धार्मिक कारणों से बातचीत करने तक से हिचकिचाते हैं. सुनेप की नर्स और माँ पुजियाती वह्युनी का कहना है कि वह खुद अपनी बेटी को टीका दिलवा चुकी हैं, लेकिन आसपास कई माता-पिता अब भी हिचकिचा रहे हैं. वह कहती हैं, “इस्लाम बहुत बड़ा धर्म है. कुछ लोग शुरू से ही टीकाकरण को लेकर तैयार नहीं रहते, चाहे धार्मिक कारण हों या पारंपरिक सोच.”
हेल्थ एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट मानते हैं कि खसरे जैसी संक्रामक बीमारी को रोकने का एकमात्र रास्ता सामूहिक टीकाकरण है. यदि बड़ी संख्या में लोग टीका नहीं लगवाते तो संक्रमण रुकने की बजाय और तेजी से फैलता है. यह न केवल बच्चों की जान जोखिम में डालता है बल्कि पूरे समाज की सेहत के लिए खतरा बन जाता है.
आगे की राह
धार्मिक और सामाजिक विश्वासों को ध्यान में रखते हुए अब इंडोनेशिया के धार्मिक नेता और स्वास्थ्य अधिकारी हलाल टीके की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार और दवा कंपनियां मिलकर इसका विकल्प तैयार करती हैं, तो लोगों का विश्वास बढ़ेगा और हिचकिचाहट कम होगी.
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