पानी कैसे और कब पीना चाहिए

पानी कैसे और कब पीना चाहिए



आयुर्वेद के अनुसार पानी हमेशा घूंट-घूंट कर पीना चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि यह बॉडी के टेंप्रेचर के मुताबिक शरीर में पहुंचे। राजीव दीक्षित बताते है , हमारे शरीर का डिसऑर्डर होना यानि बेढंग होने का हमारे पानी पीने के तरीके से बड़ा गहरा सम्बन्ध है , अपने कभी किसी पक्षी को मोटा होते देखे है , क्या आप शेर को, कुत्ता को , हिरण को मोटा देखे है ? क्युकी ये सारे जानवर पानी को जीभ से चाट कर पीते है| पक्षी पानी को चवा चवा कर पीती है | इसीलिए इन सभी जीवों का शरीर सुडोल होता है | मानव को भी पानी घूंट-घूंट कर पीना चाहिए |

सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक पानी को पीने के कुछ नियम हैं जो सेहतमंद रहने के लिए जरूरी हैं। सुबह खाली पेट पानी पीने से स्किन, लिवर, किडनी और आंख से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं। और पाचन तंत्र भी अच्छा होता है |

बहुत से लोगों का आदत होता सुबह उठने के बाद बुर्श करके ही पानी पीते है जो सही नहीं है वागभट जी महाराज के अनुसार सुबह उठने के बाद आपको सबसे पहले पानी पीना चाहिए चाहे आप जैसे भी पियें , गरम पानी पिये तो और भी अच्छा है | क्युकी रात में सोने के बाद हमारे मुँह में जो लाड़ बनता है, उसमें बहुत प्रकार के खनिज लवण होते है | जो पेट में जा कर हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनता है |

कभी भी खड़ा-खड़ा जल नहीं पीना चाहिए , जब भी जल पियें आराम से बैठ पानी पियें | क्युकी खड़ा -खड़ा पानी पिने के कारन हमारे घुटनों में समस्या उत्पन होता है |

ऊपर उठाकर कभी भी पियें पानी को जिस भी पात्र से पियें लेकिन मुँह लगाकर धीरे -धीरे पियें | क्युकी ऊपर उठाकर पानी पिने से वायु दोष उत्पन होता है | जिससे अनपच , एसिडिटी अदि की समस्या होती है |

जब भी प्यास लगे तब जल अवश्य पियें , टालें नहीं । प्यास बताती है की शरीर को जल की जरुरत है। इसे टाले नहीं

सुबह उठने के बाद बासी मुँह ही पानी पीना चाहिए क्युकी इससे पाचन-तंत्र मजबूत होती है और शरीर से गंदगी को बहार निकलने में मदद करता है |

खाना खाने से कम से कम आधा घंटा पहले जल पीना चाहिए | क्युकी ऐसा करने से आप कम खाना खाते है जो वजन कम करने में मदद करता है तथा आंते भी स्वस्थ रहती है

आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद पानी पीना जहर के सामान है। इससे जठराग्नि समाप्त हो जाती है (जो कि भोजन के पचने के बाद शरीर को मुख्य ऊर्जा और प्राण प्रदान करती है) इसलिए ऐसा करने से भोजन पचने के बजाय गल जाता है। इससे ज्यादा मात्रा में गैस और एसिड बनता है और एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है।



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