बरेली बवाल: कौन हैं मौलाना तौकीर रजा खान, जिन्हें CM योगी ने दी ये सख्त चेतावनी! – i love muhammad violence bareilly cleric tauqeer raza khan opnm2

बरेली बवाल: कौन हैं मौलाना तौकीर रजा खान, जिन्हें CM योगी ने दी ये सख्त चेतावनी! – i love muhammad violence bareilly cleric tauqeer raza khan opnm2


बरेली में जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया है. शुक्रवार को ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान के पोस्टर को लेकर मस्जिद के बाहर शुरू हुआ विवाद अचानक ही हिंसक टकराव में बदल गया. देखते ही देखते खलील तिराहा से इस्लामिया मैदान तक पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और नारेबाजी ने माहौल को बेकाबू कर दिया. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच सीधे टकराव ने सड़क को युद्धभूमि में बदल दिया.

इस हिंसा के बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मौलाना तौकीर रजा खान समेत 39 लोगों को गिरफ्तार किया है. मौलाना के साथ-साथ सरफराज, मनीफुद्दीन, अजीम अहमद, मोहम्मद शरीफ, मोहम्मद आमिर, रेहान और मोहम्मद सरफराज जैसे नामचीन आरोपियों को भी जेल भेजा गया है. कुल 180 नामजद और 2500 अज्ञात लोगों पर दंगा, तोड़फोड़, पथराव और धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज हुआ है.

जिलाधिकारी अविनाश सिंह और एसएसपी अनुराग आर्य ने हिंसा को सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा कि यह सब भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू होने के बावजूद हुआ, जो अवैध सभाओं पर रोक लगाती है. हालात काबू से बाहर न जाएं, इसके लिए बरेली में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई. फेसबुक, व्हाट्सऐप और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मैसेज फॉरवर्ड करने पर रोक पहले से ही है.

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जानिए कौन हैं मौलाना तौकीर रजा खान?

मौलाना तौकीर रजा खान की गिरफ्तारी सबसे ज्यादा चर्चा में है. वे सुन्नी बरेलवी संप्रदाय के संस्थापक अहमद रजा खान के वंशज हैं. बरेली की धार्मिक-सियासी फिजा में हमेशा एक प्रभावशाली और विवादास्पद शख्सियत रहे हैं. साल 2001 में उन्होंने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल की स्थापना की थी. इसके बाद सियासत में उतर आए थे. इसके बाद साल 2009 में कांग्रेस से जुड़े और साल 2012 में सपा के समर्थन में आ गए थे.

साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद समाजवादी पार्टी से उनका रिश्ता टूट गया. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वे बसपा के साथ दिखे. उनका नाम बार-बार हिंसा और विवादों में गूंजता रहा है. साल 2010 में बरेली दंगों में उन्हें भीड़ को भड़काने का आरोपी बनाया गया था. साल 2019-20 के दौरान सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शनों में भी उनके खिलाफ आरोप लगे. नागरिकता कानून के खिलाफ खुलकर मुखर हुए थे.

देवबंदी विचारधारा पर भेदभाव का आरोप

इसके साथ ही बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी करने की वजह से भी चर्चा में रहे थे. धार्मिक मंच पर भी उनका सफर आसान नहीं रहा है. देवबंदी विचारधारा पर भेदभाव का आरोप लगाकर उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अलग होकर ‘जदीद बोर्ड’ की कमान संभाली. सपा सरकार में उन्हें हथकरघा विभाग का उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन 2013 दंगों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 

साल 2016 में मुसलमानों में एकता की कोशिश करते हुए देवबंद पहुंचे तो बरेलवी खेमे ने उनकी कड़ी आलोचना की थी. इसके बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी. बरेली हिंसा के बाद गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले मौलाना ने वीडियो संदेश में कहा था, “यदि मुझे गोली मार दी जाए तो खुशी होगी.” उन्होंने अपने समर्थकों से अपील भी की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें देर रात पकड़कर सुबह अदालत में पेश कर दिया था. 

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योगी ने कहा-  मौलाना भूल गए सत्ता में कौन है?

वहीं, नागरिक समाज के एक तबके ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. ‘सिटीजन्स फॉर फ्रेटरनिटी’ नामक संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस कार्रवाई को धार्मिक अभिव्यक्ति पर प्रहार बताया. उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ चेतावनी दी कि त्योहारों के समय हिंसा फैलाने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, “कल एक मौलाना भूल गए कि सत्ता में कौन है?” 

सीएम योगी ने दंगाइयों को हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित “चुंड-मुंड” की संज्ञा देते हुए कहा कि देवी भगवती ऐसे तत्वों का नाश कर देती हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होगी जो आने वाली पीढ़ियों को सबक सिखाएगी. वैसे इस हिंसा की आग धीरे-धीरे सूबे के अन्य जिलों में भी पहुंच रही है. बरेली के बाद बाराबंकी, मऊ और वाराणसी में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं.

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