बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के आयोजन को लेकर चुनाव आयोग (EC) ने अंतिम तैयारियों की समीक्षा शुरू कर दी है. आयोग ने कल (29 सितंबर) से राज्य के सभी चुनावी अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें शुरू की हैं. इस कड़ी में EC ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी कमिश्नर, आईजी, डीआईजी, डीएम, एसएसपी और एसपी से मुलाकात की. बैठक सुबह 9:30 बजे से शुरू होकर दोपहर 3 बजे तक चली.
बैठक में बिहार के 38 जिलों के अधिकारियों को अपने-अपने जिलों की चुनावी तैयारियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी. इसमें कर्मियों की सूची, प्रशिक्षण की स्थिति, ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की उपलब्धता, सुरक्षा प्रबंध, वाहन और सामग्री की व्यवस्था, वोटर लिस्ट अपडेट और मतदाता जागरूकता अभियान से जुड़े सभी विवरण शामिल थे. EC ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए कि सभी तैयारियां सुनिश्चित हों और किसी भी प्रकार की कमी न रह जाए.
चुनाव में सुरक्षा पहलुओं को लेकर होगी ऑनलाइन मीटिंग
जानकारी के अनुसार, 1 अक्टूबर को EC की टीम ऑनलाइन मीटिंग करेगी. जिसमें बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, आयकर विभाग के अधिकारी, पुलिस नोडल अधिकारी और अन्य संबंधित एजेंसियों के अधिकारी शामिल होंगे. इस मीटिंग में चुनाव के सभी तकनीकी और सुरक्षा पहलुओं पर चर्चा की जाएगी और अंतिम रणनीति तय की जाएगी.
4 अक्टूबर को चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगी टीम
इसके बाद 4 और 5 अक्टूबर को चुनाव आयोग की टीम बिहार का दौरा करेगी. 4 अक्टूबर को टीम पटना में चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगी. पटना में होने वाली इस बैठक के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने विशेष प्रजेंटेशन तैयार किया है. बैठक में मुख्य सचिव, डीजीपी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.
5 अक्टूबर को सभी जिलों का दौरा करेगा EC
5 अक्टूबर को EC की टीम बिहार के अन्य जिलों का दौरा करेगी और वहां चुनावी तैयारियों का जायजा लेगी. इससे पहले 3 अक्टूबर को दिल्ली में EC ने पर्यवेक्षकों की मीटिंग आयोजित की थी, जिसमें उन्हें बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों, सुरक्षा प्रबंध और चुनावी रणनीति से अवगत कराया गया.
चुनाव आयोग की ये तैयारियां यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पूरी पारदर्शिता, निष्पक्षता और सुरक्षा के साथ संपन्न हो. EC की सतर्कता और समय पर समीक्षा से चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या कमी को रोका जा सकेगा. इस कदम से मतदाता और राजनीतिक दलों दोनों को चुनाव में भरोसा और सुरक्षा का भरोसा मिलेगा.