Cushing Syndrome Warning Signs: हवाई जहाज से कूदने या ट्रेन के सामने खड़े होने पर भी डर नहीं लगता? जानिए इस बीमारी के लक्षण

Cushing Syndrome Warning Signs: हवाई जहाज से कूदने या ट्रेन के सामने खड़े होने पर भी डर नहीं लगता? जानिए इस बीमारी के लक्षण



Cushing Syndrome Early Signs: अगर किसी इंसान को हवाई जहाज से कूदने या ट्रेन के सामने खड़े होने में भी डर न लगे, तो यह कितनी अजीब बात होगी. डर इंसानी स्वभाव का हिस्सा है, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनमें यह नेचुरल रिएक्शन लगभग खत्म हो जाता है. मनोचिकित्सक डॉ. दीपक केलकर बताते हैं कि ऐसी स्थिति कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) में देखने को मिल सकती है. यह एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन इसके लक्षण शरीर और दिमाग दोनों पर गहरा असर डालते हैं.

कुशिंग सिंड्रोम क्या है?

कुशिंग सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है. यह हार्मोन शरीर की स्ट्रेस मैनेजमेंट, ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है. जब इसका लेवल लंबे समय तक ज्यादा बना रहता है, तो शरीर और मन दोनों पर बुरा असर डालता है.

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डर क्यों खत्म हो जाता है?

कुशिंग सिंड्रोम में मरीज का मानसिक संतुलन प्रभावित होता है. इसकी वजह से दिमाग में मौजूद स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिस्टम ठीक से काम नहीं करता. इसलिए मरीज को खतरे का एहसास कम हो जाता है. कई बार यह स्थिति डिप्रेशन, मूड स्विंग और एंग्जायटी में भी बदल जाती है. यानी सामान्य इंसान जहां खतरनाक परिस्थितियों से डरकर पीछे हटेगा, वहीं कुशिंग सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को खतरे का अंदाजा ही नहीं होता.

कशिंग सिंड्रोम के आम लक्षण क्या हैं

  • चेहरे पर अत्यधिक चर्बी हो जाना
  • गर्दन और पेट पर फैट जमा होना
  • हाथ-पैर पतले होना
  • त्वचा पर बैंगनी रंग के निशान हो जाना
  • ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल का बढ़ना
  • बार-बार मूड चेंज होना
  • नींद की समस्या और थकान

इस बीमारी के क्या कारण है

  • लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाइयों का सेवन
  • शरीर में ट्यूमर बनना, जो कॉर्टिसोल स्तर को बढ़ाता है
  • पिट्यूटरी ग्लैंड में गड़बड़ी

इलाज कैसे किया जाता है?

सबसे पहले मरीज की हार्मोन टेस्टिंग और इमेजिंग जांच की जाती है. इसके बाद जरूरत पड़ने पर सर्जरी के जरिए ट्यूमर निकाला जाता है. कई मामलों में रेडियोथेरेपी या दवाइयां देकर कॉर्टिसोल स्तर को नियंत्रित किया जाता है. लेकिन डॉक्टर की निगरानी में जीवनशैली में बदलाव और हेल्दी डाइट का पालन बेहद ज़रूरी है.

कशिंग सिंड्रोम केवल शरीर ही नहीं, बल्कि दिमाग को भी प्रभावित करती है. जिससे व्यक्ति का डर और खतरे का एहसास खत्म हो सकता है. समय पर पहचान और सही इलाज से मरीज को इससे बाहर निकाला जा सकता है. इसलिए लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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