Mehndi Traditional: भारतीय संस्कृति और विशेषकर हिंदू विवाह का ज़िक्र हो या मुस्लिम विवाह का उसमें मेहंदी की बात न हो, यह असंभव है. मेहंदी सिर्फ एक सजावट नहीं, बल्कि दुल्हन की शोभा और विवाह की शुभता का प्रतीक है.
यही कारण है कि दोनों धर्मों में मेहंदी का बहुत महत्व है. तभी तो कहा जाता है “मेहंदी नहीं तो शादी नहीं.”
भारत में मेहंदी का प्रचलन मुगलों के ज़माने से जुड़ा है. 15वीं शताब्दी में जब यह भारत आई तो धीरे-धीरे यह परंपरा आम जनता में भी लोकप्रिय हो गई. इतिहासकारों के अनुसार, 17वीं शताब्दी में शादी-ब्याह में दुल्हनों के हाथ-पांव पर मेहंदी लगाना आम हो गया था. मज़ेदार बात यह है कि उस समय नाई की पत्नी ही महिलाओं को मेहंदी लगाती थीं.
हालांकि, मेहंदी की शुरुआत भारत में नहीं, बल्कि उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व से हुई थी. पिछले 5000 वर्षों से इसे सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
हिंदू धर्म और मेहंदी
हिंदू परंपराओं में मेहंदी का महत्व सिर्फ़ विवाह तक सीमित नहीं है. करवा चौथ जैसे व्रतों में विवाहित महिलाएं मेहंदी लगाती हैं. कई धार्मिक चित्रों में देवी-देवताओं की हथेलियों पर भी मेहंदी के बिंदु और डिज़ाइन देखे जा सकते हैं.
फिर भी, सबसे खास और पवित्र अवसर विवाह ही माना जाता है. विवाह से पहले आयोजित मेहंदी की रस्म न केवल एक उत्सव है, बल्कि दुल्हन की सुंदरता और नए जीवन की समृद्धि का प्रतीक भी है.
हिंदू विवाह और मेहंदी की रस्म
शादी से एक दिन पहले होने वाली यह रस्म पूरे परिवार और सहेलियों के लिए उत्सव का अवसर होती है. दुल्हन के हाथों, पैरों और कलाइयों को खूबसूरत डिजाइनों से सजाया जाता है. कई बार दूल्हे के हाथों पर भी मेहंदी रचाई जाती है, खासकर राजस्थान और गुजरात जैसे इलाकों में.
यह रस्म संगीत, नाच-गाने और हंसी-मज़ाक के साथ मनाई जाती है. दुल्हन की हथेलियों पर गहरे लाल रंग की मेहंदी समृद्धि, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है.
इस्लाम में मेंहदी की अहमियत
इस्लाम में मेंहदी को नेमत और खूबसूरती का जरिया माना गया है. हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसे सुन्नत और तबर्रुक बताया. आपने फरमाया कि औरत की पहचान उसके जेवर और सजावट से है, और मेंहदी इसमें सबसे पाक तरीका है.
मेंहदी न सिर्फ खूबसूरती देती है, बल्कि खुशी और सुकून का पैगाम भी है. औरतें अपने हाथ-पैरों पर मेंहदी लगाकर खुशी और इबादत के मौके पर अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करती हैं. यह ईद, निकाह और दूसरी खुशियों में खुशी की अलामत समझी जाती है.
पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि “मेंहदी से सजावट करो, यह तुम्हें पाक और खुशगवार बनाती है.” इसलिए मुसलमान इसे सुन्नत और रूहानी सुकून के साथ अपनाते हैं.
मुस्लिम निकाह और मेंहदी की रस्म
मुस्लिम निकाह में मेंहदी की रस्म खुशी और बरकत की अलामत है. दुल्हन के हाथ-पैरों में मेंहदी लगाना पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत की याद दिलाता है. मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि औरत अपनी सजावट से हलाल तरीके से खुशी मनाए.
शादी से पहले मेंहदी की महफिल दुल्हन और उसके घरवालों के लिए नेमत और रौनक का सबब बनती है. यह रस्म न सिर्फ सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि शादी को खुशियों और मोहब्बत से भर देती है.
रोचक मान्यताएँ
मेहंदी की रस्म को लेकर कई रोचक मान्यताएँ प्रचलित हैं-
- गहरा रंग: दुल्हन की हथेलियों पर जितनी गहरी मेहंदी रचेगी, उतना ही अधिक प्यार उसे ससुराल में मिलेगा.
- नाम छुपाना: मेहंदी के डिज़ाइन में दूल्हे का नाम छुपाया जाता है. अगर दूल्हा अपना नाम ढूँढ़ ले तो उसे विवाह में सफल और चतुर माना जाता है.
- अविवाहित लड़कियाँ: माना जाता है कि अगर कोई अविवाहित लड़की दुल्हन की मेहंदी का पत्ता ले ले, तो उसे जल्द ही अच्छा वर मिलता है.
पश्चिम में मेहंदी का चलन
आज मेहंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है. हॉलीवुड की मशहूर हस्तियां जैसे डेमी मूर, ग्वेन स्टेफनी, मैडोना और ड्रू बैरीमोर भी मेहंदी को फैशन स्टेटमेंट बना चुकी हैं. वैनिटी फेयर और कॉस्मोपॉलिटन जैसी पत्रिकाओं ने इसे और लोकप्रिय बना दिया. अब यह पश्चिम में टैटू का दर्दरहित और अस्थायी विकल्प बन चुकी है.
मेहंदी का सौंदर्य और स्वास्थ्य पक्ष
मेहंदी न केवल सजावट का माध्यम है बल्कि बालों के लिए प्राकृतिक कंडीशनर और रंग के रूप में भी उपयोगी है. यह शरीर की नसों को ठंडक पहुंचाती है और विवाह की तैयारियों में व्यस्त दुल्हन के लिए मानसिक शांति का साधन भी बनती है.
मेहंदी के कई रंग
एक उष्णकटिबंधीय झाड़ी है, जिसकी पत्तियों को सुखाकर और पीसकर बनाया गया लेप हथेलियों और पैरों पर सजावट के लिए लगाया जाता है. यह लेप त्वचा पर लाल-भूरा रंग छोड़ता है, जो हफ़्तों तक बना रहता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह ठंडक पहुंचाता है और शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं डालता.
मेहंदी हिंदू विवाह की आत्मा है. यह केवल सजावट नहीं, बल्कि एक शुभ संकेत है जो दुल्हन की सुंदरता और नए रिश्ते की पवित्रता को दर्शाता है. इसकी खुशबू और रंग विवाह की यादों को और भी खास बना देते हैं. यही कारण है कि भारतीय परंपरा में कहा जाता है.
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