वजन बढ़ाना आजकल सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों और तनाव का कारण भी बनता जा रहा है. बदलती लाइफस्टाइल, खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के चलते भारत में मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में वजन कम कर दुबला दिखने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं, जिनमें डाइट, एक्सरसाइज और वजन घटाने वाली दवाइयां शामिल है. हालांकि कई रिपोर्ट्स के अनुसार वजन घटाने वाली दवाइयों का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं की जिस फैट लॉस ड्रग से भारतीय दुबला दिखने की कोशिश कर रहे हैं उसका इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है.
क्या है फैट लॉस ड्रग?
भारत में लोग वजन घटाने के लिए नोवो नॉर्डिस्क की वजन घटाने वाली वेगोवी दवाएं ले रहे हैं. वेगोवी, सेमाग्लूटाइड नामक एंटी डायबिटिक ड्रग का ब्रांड नाम है. यह हफ्ते में एक बार लिया जाने वाला इंजेक्शन है जो कि भूख को कंट्रोल करने, ब्लड शुगर को स्थिर रखने और पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराने में मदद करता है. डॉक्टरों के अनुसार यह दवा उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनका वजन ज्यादा है या जो टाइप-2 डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. यह दवा दिमाग के उन हिस्सों को प्रभावित करती हैं जो भूख और खाने की लालसा को कंट्रोल करते हैं.
कितना खतरनाक है फैट लॉस ड्रग?
वेगोवी जैसे फैट लॉस ड्रग आमतौर पर ज्यादा वजन वाले लोगों के लिए वजन कम करने में फायदेमंद मानी जा रही है. लेकिन इस कैटेगरी की दवाइयों का इस्तेमाल कई बार खतरनाक भी हो सकता है. दरअसल फैट लॉस ड्रग के इस्तेमाल से उल्टी, दस्त, कब्ज, पेट दर्द, सिर दर्द, थकान और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती है. इसके अलावा गंभीर मामलों में पैन्क्रियाटाइटिस, पित्ताशय की समस्याएं, किडनी फेलियर, गंभीर पेट की समस्याएं और एलर्जी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है. इन दवाओं के सेवन से कुछ मरीजों में डिप्रेशन या सुसाइडल थॉट्स जैसे असर भी आ सकते हैं. इसके अलावा इन दवाओं से टाइप टू डायबिटीज वाले मरीजों में लो ब्लड शुगर, गैस, पेट फ्लू, सीने में जलन और गले में खराश की समस्या हो सकती है. वहीं प्रेग्नेंट और फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए भी यह फैट लॉस ड्रग खतरनाक हो सकते हैं.
क्या हर किसी को लेनी चाहिए फैट लॉस ड्रग?
कुछ रिसर्च के अनुसार यह सामने आया है कि अगर किसी व्यक्ति का वजन इमोशनल ईटिंग के कारण बड़ा है तो उन लोगों पर इन दवाओं का असर कम हो सकता है. यह दवाएं भूख को कंट्रोल करती है लेकिन जब खाने के कारण स्ट्रेस, उदासी या बोरियत जैसे इमोशन ट्रिगर करते हैं तो उस समय यह दवा भूख को तो दबा देगी पर इमोशनल क्रेविंग बरकरार रह सकती है. ऐसे मामलों में दवा लेने पर अनहेल्दी स्नैकिंग हो सकती है. इसलिए इन दवाइयों को लेने से पहले मरीज के खाने की क्रेविंग और मनोवैज्ञानिक कारणों का पता लगाना जरूरी होता है. वहीं फैट लॉस ड्रग को लेकर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि वजन कम करने के लिए किसी भी दवा की शुरुआत से पहले मेडिकल हिस्ट्री, ड्रग इंटरेक्शन और मेंटल हेल्थ की जांच जरूरी है. इसके अलावा फैट लॉस ड्रग के साइड इफेक्ट जैसे मतली, तेज पेट दर्द और मूड चेंज जैसे लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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