Indian Cricketer Arshdeep Singh Share Personal Story Interview Update | क्रिकेटर अर्शदीप का खुलासा: घर में सारे बॉलिंग कोच, छक्का खाने पर पूछते- तूने यॉर्कर क्यों नहीं डाली? सब सवालों के जवाब देने पड़ते है – Chandigarh News

Indian Cricketer Arshdeep Singh Share Personal Story Interview Update | क्रिकेटर अर्शदीप का खुलासा: घर में सारे बॉलिंग कोच, छक्का खाने पर पूछते- तूने यॉर्कर क्यों नहीं डाली? सब सवालों के जवाब देने पड़ते है – Chandigarh News


पॉडकास्ट के दौरान अर्शदीप सिंह हंसते हुए।

भारतीय क्रिकेटर अर्शदीप सिंह की फैमिली भी गजब की है। घर हो या मैदान, देश हो या विदेश, पूरी फैमिली की हंसी ठिठौली चलती रहती है। सभी एकदूसरे को कॉल, मैसेज, चैट आदि पर छेड़ते (मजाक) रहते है। इसका खुलासा अर्शदीप ने एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में किया

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अर्शदीप ने बताया अब तो घर में सारे उसके बालिंग कोच बन गए हैं। कोच का मैसेज कम आता है, घर से ज्यादा मैसेज आते हैं। मैच खत्म होने के आधे घंटे बाद ही पापा की तरफ से चैट, मम्मी बलजीत कौर और अब तो बहन गुरलीन कौर भी छेड़ती है। लिखती है- “तेरे को पता छक्का नहीं खाना था, तूने यॉर्कर क्यों नहीं डाली?”

मम्मी सोशल मीडिया देखती हैं, उन्हें पता लग गया कि यॉर्कर डालने से छक्का नहीं लगता है। वह कहती हैं- “तुझे पता नहीं है, वो मार रहे थे, तुझे यॉर्कर डालनी थी।” सबको जवाब देना पड़ता है।

पापा से अलग मुकाबला चलता है अर्शदीप ने बताया कि अच्छे मैच के बाद तो पापा दर्शन सिंह बोलते नहीं हैं। मगर, वह शनिवार और रविवार को कॉर्पोरेट मैच खेलते हैं। वे जवानी में क्रिकेट खेलते थे, फिर जॉब लग गई तो छोड़ना पड़ा। अब दोबारा इंटरेस्ट आया है। वह आउटस्विंग डालते हैं और राइट आर्म बॉलर हैं। मैच के बाद वह अपने आंकड़े भेज देते हैं- “मेरे चार ओवर, 19 रन, दो विकेट- मेरे से अच्छा कर लेना”। उनकी तरफ से प्रेशर रहता है।

अर्शदीप सिंह अपने परिवार के साथ। फाइल फोटो

अर्शदीप सिंह अपने परिवार के साथ। फाइल फोटो

यहां जानिए अर्शदीप ने फैमिली के क्या-क्या राज खोले…

मम्मी की साइकिल की कहानी से उठाया पर्दा अर्शदीप ने कहा कि कई जगह उनके क्रिकेटर बनने की कहानी भी अलग-अलग चली है, क्योंकि मम्मी-पापा को इंटरव्यू देना अच्छा लगता है। ऐसे में बातें अलग हो जाती हैं। असल बात यह है कि जब मैं छोटा था, तब मेरी एकेडमी और स्कूल अलग जगह पर थे। मैं लंच बॉक्स पकड़ता था, एक्टिवा पर मम्मी छोड़ आती थीं।

शाम को एकेडमी से लेकर आती थीं। फिर मैं बड़ा हो गया। हमने घर बना लिया। एकेडमी 15 किलोमीटर दूर थी। बस में ट्रैवल करना हेक्टिक था। कई बार गिरने का डर रहता था। सर्दियों में मुश्किल और बढ़ जाती थी। घरवालों ने साइकिल दिलवाई। पापा कहते थे, “तेरी थाई बन जाएगी”।

मैं दिन में 28–30 किलोमीटर साइकिल चलाता था, प्रैक्टिस अलग करता था। हम रोजाना कारों से मुकाबला करते थे। मन में सोचते थे कि मुझे इनसे पहले पहुंचना है, अगर विकेट नहीं मिलेगी। हालांकि इंटरव्यू में सब मिक्स हो गया। इंटरव्यू में बता दिया कि मम्मी साइकिल पर छोड़ने आ रही हैं। मैंने सोचा कि मेहनत ज्यादा हो गई। मैंने मम्मी से कहा कि “इतनी फिटनेस मेरी नहीं, जितनी आपकी हो गई”। मम्मी का कहना है कि “सबका घर चल रहा है, चलने दो”।

मम्मी ने बैंक खाता जाइंट करवा लिया जब हम हंबल (साधारण) बैकग्राउंड से आते हैं। पहली बार जब तगड़ा चेक आया, तो मम्मी-डैडी से पूछा “क्या लेकर आऊं?” तो कुछ नहीं बोले। लौटने पर मम्मी ने जॉइंट अकाउंट करवा लिया है। बिना पूछे अब उनके खाते में ही जा रहा है। जब हंबल बैकग्राउंड से आते हैं तो छोटी-छोटी चीजों से खुश हो जाते हैं। “आज हमने बटर चिकन खा लिया, दो-चार परांठे हो गए”। यही जिंदगी है छोटी-छोटी खुशियों में आदमी खुश हो जाता है।

मम्मी-डैडी डिमांड नहीं करते अर्शदीप ने आगे बताया कि मम्मी-डैडी डिमांड नहीं करते हैं। चीज देख लेते हैं, पसंद भी आ जाती है, कहेंगे “क्वालिटी ठीक नहीं है”। गाड़ी भी नई लेनी है। मुझे शौक नहीं है। मम्मी को गाड़ियों का शौक है। पापा को जमीन से प्यार है। जमीन देखी और खरीद ली। जमीन खरीदते हैं, बेचते नहीं हैं। कहते हैं “यह इन्वेस्टमेंट है”। मैं कहता हूं कि “पापा निकाल देते हैं,” तो कहते हैं “क्या कह रही है?”

रील और मूवी से सीखी अंग्रेजी अर्शदीप सिंह ने अपनी अंग्रेजी को लेकर एक रोचक बात बताई। उन्होंने मजाक-मजाक में कहा कि “नई सीखी है।” फिर एंकर ने सवाल किया- “कहां से सीखी, किताबों से?” तो इस पर अर्शदीप का जवाब था — “रीलों से, मूवी से”। वहीं, अर्शदीप ने कहा कि किताबें भी पढ़ता रहता हूं। सोचता हूं रोज दस पेज पढ़ूंगा। ट्रेडिंग रील देखना अच्छा लगता है। मुझे अपना पेज आसान रखना है।

पिछले साल अमेरिका में हुए टी-20 विश्वकप जीतने के बाद ट्रॉफी के साथ भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह और उनका परिवार।

पिछले साल अमेरिका में हुए टी-20 विश्वकप जीतने के बाद ट्रॉफी के साथ भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह और उनका परिवार।

अर्शदीप का क्रिकेट सफर काफी संघर्ष भरा रहा…

पिता ने पहचाना हुनर, मां ने लगाई ताकत अर्शदीप सिंह का परिवार पंजाब के खरड़ से हैं। उनके पिता दर्शन सिंह एक निजी कंपनी में काम करते हैं, अर्शदीप का जन्म तब हुआ तो उस सम उनकी पोस्टिंग मध्य प्रदेश में थी। वह भी गेंदबाज है। उनके पिता ने क्रिकेट के प्रति उनके जुनून को पहचाना। उन्होंने उन्हें पार्क में बॉलिंग करते देखा। फिर वे उन्हें 13 साल की उम्र में चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित गुरु नानक देव स्कूल की क्रिकेट अकादमी में ले गए। जहां से उनकी कोचिंग शुरू हुई।

अर्शदीप के पिता बाहर पोस्टेड थे। ऐसे में सुबह छह बजे खरड़ से चंडीगढ़ ग्राउंड पहुंचना आसान नहीं था। क्योंकि यह 15 किलोमीटर का सफर था। ऐसे में अर्शदीप सिंह की मां उन्हें सुबह साइकिल पर लेकर आती थीं। फिर वहीं रुकती थीं। स्कूल के बाद उन्हें पार्क में बिठाती थीं और खाना आदि खिलाती थीं। इसके बाद फिर से अकादमी भेजती थीं। इसके बाद शाम को घर ले जाती थीं। शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।

परिवार ने कनाडा भेजने की कर ली थी तैयारी अर्शदीप सिंह का पंजाब टीम में चयन नहीं हो रहा था। परिवार के लोग भी चिंतित थे। ऐसे में माता-पिता ने उसे कनाडा उसके भाई के पास भेजने का फैसला किया। उन्होंने इस बारे में उसके कोच से बात की। कोच ने जब अर्शदीप से इस बारे में चर्चा की तो उसने कहा कि वह खेलना चाहता है।

कोच की सलाह पर अर्शदीप ने यह बात अपने परिवार को बताई। परिवार के लोगों ने उसे एक साल का समय दिया। इसके बाद अर्शदीप ने ग्राउंड पर जमकर मेहनत की। फिर उसका चयन पंजाब की आयु वर्ग 19 की टीम में हो गया। इसके बाद उसने अंडर-19 विश्व कप खेला। इसके बाद यह सफर लगातार चलता रहा।

वैरिएशन को पहचान बने बादशाह अर्शदीप सिंह जब वर्ल्ड कप U-19 खेल रहे थे, तब भी उनकी परेशानियां कम नहीं थीं। क्योंकि स्पीड के मामले में उनके सामने तीन गेंदबाज थे। इसलिए उन्होंने वैरिएशन पर काम करना शुरू किया। डेथ ओवर में वह यॉर्कर अच्छी फेंकते थे, इसलिए उन्होंने यॉर्कर पर काम किया। स्लो ओवर और लाइन और लेंथ पर काम किया। वैरिएशन की वजह से ही उन्हें आईपीएल में चुना गया।

IPL में अर्शदीप पंजाब के टॉप विकेट टेकर इसी साल हुए IPL में अर्शदीप सिंह पंजाब किंग्स (PBKS) के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भी बने थे। उन्होंने अब तक 86 विकेट अपने नाम किए। इनसे पहले यह रिकॉर्ड पीयूष चावला के नाम था, जिन्होंने पंजाब के लिए 84 विकेट लिए थे। इसके बाद संदीप शर्मा (73 विकेट), अक्षर पटेल (61 विकेट) और मोहम्मद शमी (58 विकेट) जैसे बॉलर्स हैं।

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